ज्ञान भंडार
सरदारपुरा नरसंहार: 33 लोगों को जिंदा जलाने के मामले में 14 आरोपी बरी
अहमदाबाद। सरदारपुरा नरसंहार में मेहसाणा कोर्ट द्वारा दोषी करार 31 लोगों में से 14 को गुजरात हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। 17 अन्य दोषियों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी गई है। गोधरा कांड के बाद 28 फरवरी, 2002 की रात हुए इस नरसंहार में 33 लोग जिंदा जला दिए गए थे
मेहसाणा जिले में हुए इस नरसंहार के सिलसिले में कुल 76 आरोपी गिरफ्तार किए गए थे। सुनवाई के दौरान इनमें से दो की मौत हो गई, जबकि एक नाबालिग था। मेहसाणा जिला अदालत ने जून, 2009 में 73 लोगों के खिलाफ आरोप तय कर ट्रायल शुरू किया था। कोर्ट ने इनमें से 31 को दोषी ठहराया और 42 को बरी कर दिया। एसआईटी ने 42 में से 31 लोगों को बरी करने को हाईकोर्ट में चुनौती दी लेकिन हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा। वहीं, दोषी ठहराए गए 31 लोगों में से भी 17 को ही हत्या, हत्या के प्रयास, दंगा भड़काने सहित अन्य धाराओं के तहत दोषी पाया।
हाईकोर्ट ने भी नहीं मानी षड्यंत्र की थ्योरी
गुजरात हाईकोर्ट ने भी अभियोजन पक्ष की षड्यंत्र की कहानी नहीं मानी। निचली कोर्ट ने भी इसे नहीं माना था। अभियोजन पक्ष का आरोप था कि अल्पसंख्यक समुदाय पर सुनियोजित तरीके से हमला किया गया था। गोधरा ट्रेन कांड के बाद यह साजिश रची गई थी।
जहां छिपे थे अल्पसंख्यक, भीड़ ने वहां लगाई आग, 33 लोग जिंदा जले
गोधरा कांड के बाद हुए नौ दंगों की जांच सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त एसआईटी ने की थी। सरदारपुरा भी इनमें शामिल था। 2002 में 28 फरवरी और एक मार्च की रात भीड़ ने शेख वास घेर लिया। यहां अल्पसंख्यक समुदाय के लोग छिपे थे। भीड़ ने घर को आग लगा दी। इसमें 22 महिलाओं सहित 33 लोग जिंदा जल गए थे।
जहां छिपे थे अल्पसंख्यक, भीड़ ने वहां लगाई आग, 33 लोग जिंदा जले
गोधरा कांड के बाद हुए नौ दंगों की जांच सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त एसआईटी ने की थी। सरदारपुरा भी इनमें शामिल था। 2002 में 28 फरवरी और एक मार्च की रात भीड़ ने शेख वास घेर लिया। यहां अल्पसंख्यक समुदाय के लोग छिपे थे। भीड़ ने घर को आग लगा दी। इसमें 22 महिलाओं सहित 33 लोग जिंदा जल गए थे।