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सर्वार्थ सिद्धि योग में नवरात्र का आगाज, जानिए देवी को मनाने के लिए क्या करें

durga3-1460091047जयपुर। छोटी काशी में शुक्रवार को पर्वों की त्रिवेणी बहेगी। नवसंवत्सर 2073 की शुरुआत, चैत्र नवरात्र स्थापना व सिंजारे का पर्व एक साथ मनाया जाएगा। मंदिरों में घंटे-घडिय़ाल की मधुर स्वर लहरियों के बीच घट स्थापना की जाएगी। 

वहीं, घर-घर में देवी पूजन व घट स्थापना होगी। नवाह्नपारायण के पाठ भी होंगे। लोकरीति के अनुसार अधिकांश लोग सिंजारे का पर्व भी इसी दिन मनाएंगे। 

शिला माता मंदिर में दोपहर 12.05 बजे घट स्थापना

आमेर स्थित शिला माता मंदिर में दोपहर 12.05 बजे घट स्थापना की जाएगी। मंदिर महंत हरिशंकर झा ने बताया कि दर्शन के लिए पट दोपहर 1.05 बजे से खुलेंगे। इससे पहले दर्शन के लिए पट मंगल रहेंगे। 

पूरे नवरात्र सुबह 6 बजे से दोपहर  12.30 बजे तक व शाम 4 बजे से 8.30 बजे भक्त दर्शन कर सकेंगे। नवरात्र उत्थापन 16 अप्रेल को सुबह 10.30 बजे होगा। गलता स्थित सीताराम मंदिर में अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापना की जाएगी। शाम को नवाह्पारायण के पाठ होंगे। 

यहां भी होंगे आयोजन

आमेर घाटी स्थित मनसा माता मंदिर, मानबाग स्थित राजराजेश्वरी मंदिर, ब्रह्मपुरी मंगला मार्ग स्थित मंगला माता मंदिर, सूरजपोल स्थित रुद्रघंटेश्वरी मंदिर, दुर्गापुरा स्थित दुर्गामाता मंदिर, झालाना स्थित काली माता मंदिर, राजापार्क स्थित मां वैष्णो देवी मंदिर में भी घट स्थापना होगी। वहीं खोले के हनुमान मंदिर में नवाह्नपारायण के पाठ होंगे।

सिंजारा कहीं 8 को तो कहीं 9 को

9 अप्रेल को द्वितीया तिथि सुबह 9.23 मिनट तक ही रहेगी, इसके बाद पूरा दिन तृतीया तिथि ही रहेगी। तिथियों की इस घटत-बढ़त के कारण सिंजारा कुछ लोग शुक्रवार को तो कुछ गणगौर के दिन मनाएंगे। गलता पीठाधीश्वर स्वामी अवेधाशाचार्य के अनुसार शनिवार को द्वितीया तिथि थोड़ी देर ही होने के कारण सिंजारा शुक्रवार को ही मनाया जाएगा।  

पंडित राजकुमार चतुर्वेदी ने बताया कि जयपुर की रीति के अनुसार पहले दिन सिंजारा मनाया जाता है, दूसरे दिन गणगौर। इसलिए अधिकांश लोग पहले दिन सिंजारा मनाएंगे। वहीं, चांदपोल बाजार रामचंद्र मंदिर के महंत  सुरेंद्र तिवारी ने बताया कि शनिवार को सुबह सिंजारा व दोपहर बाद गणगौर मनाई जाएगी। 

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नवसंवत्सर का आगाज

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर नवसंवत्सर 2073 का भी आगाज होगा। मंदिरों में जयकारों के बीच नए साल का स्वागत किया जाएगा। कुछ मंदिरों में गज पूजन किया जाएगा, तो कहीं भगवान को नए साल का पंचाग पढ़कर सुनाया जाएगा। 

अभिजीत मुहूर्त में होगी घट स्थापना 

इस बार नवरात्र में तृतीया तिथि क्षय (कमी) हो जाने से आठ दिन ही माता की पूजा-अर्चना की जाएगी। ज्योतिष मतानुसार नवरात्रों का घटना शुभ नहीं माना जाता, लेकिन इस बार चैत्र नवरात्र के सात दिन सुयोग रहेंगे। नवरात्र में सात दिन रहने वाले सुयोग में कोई भी शुभ कार्य आरम्भ, वाहन व स्वर्ण-आभूषण खरीदना, प्रॉपर्टी का लेनदेन श्रेष्ठ रहेगा। 

पहले दिन कुमार योग व सर्वार्थ सिद्धि योग से नवरात्र की शुरुआत श्रेष्ठ व समृद्धि कारक होगी। 14 अप्रेल को अष्टमी के दिन बन रहा गुरु पुष्य योग भी लोगों के लिए उन्नतिकारक रहेगा। 15 अप्रेल को रामनवमी मनाई जाएगी, इसी दिन नवरात्र उत्थापन भी होंगे। 

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