सातवें वेतन लगने के बाद शिक्षामित्र पाते थे, 39 हजार सैलरी अब फिर से होगा पहले जैसा हाल
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प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए 26 मई 1999 को हर विद्यालय में दो शिक्षामित्र रखने का निर्णय लिया गया था। नियुक्ति का अधिकार ग्राम सभा को था और इसके लिए योग्यता इंटरमीडिएट थी।
शुरुआत में इनके लिए प्रति माह 2250 रुपये मानदेय तय किया गया। वर्ष 2010 तक 1.68 लाख शिक्षामित्र विभिन्न प्राथमिक स्कूलों में रखे गये। तब तक इनका मानदेय भी बढ़ाकर 3500 रुपये प्रति माह कर दिया गया।
यह प्रक्रिया अभी चल ही रही थी कि सितंबर 2015 में हाईकोर्ट ने समायोजन को अवैध करार दे दिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ स्टे मिल जाने और सातवां वेतनमान लागू होने से समायोजित शिक्षामित्रों का वेतन करीब 39 हजार रुपये प्रति माह हो गया। अब सुप्रीम कोर्ट का समायोजन रद करने के आदेश के बाद वे पहले वाली स्थिति में आ गये हैं।
-2004-05: इस साल सबसे ज्यादा शिक्षामित्र रखे गये।
-2010: अब तक स्कूलों में 1.68 लाख शिक्षामित्र रखे जा चुके थे।
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-2005 : शिक्षामित्रों का मानदेय 2250 से बढ़ाकर 2400 रुपये प्रतिमाह किया गया। जिसे 2007-2008 में 3000 रुपये और 2010 में 3500 रुपये प्रति माह कर दिया गया।
-2010 : शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन का फैसला।
-2014 व 2015 : 1.37 लाख शिक्षामित्र सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित किए गये।
-12 सितंबर 2015 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समायोजन को नियमों के खिलाफ बताते हुए रद्द कर दिया।
-7 दिसंबर 2015 : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे दिया।
-25 जुलाई 2017 : सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन रद्द कर दिया।
उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ अनिल यादव का कहना है कि हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं और राज्य सरकार से मांग करते हैं कि विभागीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) शीघ्र कराएं।