सावधान! ई-सिगरेट से कैंसर का खतरा
न्यूयॉर्क: सिगरेट के सुरक्षित विकल्प के तौर पर बाजार में बेचे जा रहे इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट भी लोगों के लिए सुरक्षित नहीं है। जी हां, इसमें कोशिकाओं को हानि पहुंचाने की क्षमता है, जिससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है। लैब में किए गए टेस्ट के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि निकोटिन मुक्त ई-सिगरेट मानव की कोशिकाओं में घातक बदलाव लाकर उन्हें कैंसर कोशिकाओं में बदल सकता है।
अमेरिका के सैन डिएगो में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में पैथोलॉजी के प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता जेसिका वांग-रोडरिक्वेज ने कहा, ” मेरा मानना है कि आज तक के सबूतों के आधार पर ई-सिगरेट पारंपरिक सिगरेट का बेहतर विकल्प नहीं हो सकता है।”
शोधकर्ताओं ने कहा, “लोगों के बीच जिस तरह ई-सिगरेट का प्रचार किया जा रहा है, यह वैसा नहीं है। यह बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है।” इस दौरान शोधकर्ताओं ने ई-सिगरेट के दो मशहूर ब्रांडों के धुएं का प्रयोगशाला में मानव कोशिकाओं से संपर्क कराया। धुएं के संपर्क में न आने वाली कोशिकाओं की तुलना में धुएं के संपर्क में आनेवाली कोशिकाओं के डीएनए में क्षति पाई गई, जबकि कुछ कोशिकाएं मृत हो गईं।
वैज्ञानिकों ने निकोटिन युक्त और निकोटिन मुक्त ई-सिगरेट का परीक्षण किया। निकोटिन युक्त ई-सिगरेट लोगों को इसका आदी बना देती है। इनके द्वारा कोशिकाओं को हानि पहुंचाने की बात भी सामने आयी। शोध टीम ने पाया कि निकोटिन युक्त ई-सिगरेट काफी क्षति करते हैं, जबकि निकोटिन मुक्त सिगरेट का धुआं कोशिकाओं में भयानक बदलाव के रूप में काम करता है।
वांग ने कहा, “ई-सिगरेट में कुछ अन्य घटक भी होते हैं, जो इस तरह की क्षति पैदा करते हैं। इसलिए हमें कैंसर उत्पन्न करने वाले कुछ और घटकों की पहचान करने की जरूरत है।” शोध टीम कैंसर पैदा करने वाले अन्य घटकों की पहचान और उसके विशिष्ट प्रभाव की जांच का प्रयास कर रहा है। बाजार में सात हजार से अधिक स्वाद वाले ई-सिगरेट के 500 ब्रांड मौजूद हैं। यह अध्ययन पत्रिका ‘ओरल ऑन्कोलॉजी’ में प्रकाशित हुआ है।