सिंधु जल संधि : मोदी के बयान से डरा पाक, मदद को पहुंचा विश्व बैंक
पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि मुद्दे पर विश्व बैंक से हस्तक्षेप की मांग करते हुए नीलम और चिनाब नदियों पर भारत द्वारा कराए जा रहे निर्माणकार्यों पर रोक लगाए जाने की अपील की है। पाकिस्तान के समाचारपत्र ‘डान’ ने वाशिंगटन स्थित पाकिस्तानी दूतावास से जारी बयान के हवाले से यह रिपोर्ट दी।
बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान ने नीलम और चिनाब नदियों पर भारत द्वारा कराए जा रहे निर्माण कार्यों पर यह कहते रोक लगाने की अपील की कि इससे उनके देश के निचले इलाकों में नदी के बहाव में कमी आएगी।
पाकिस्तान के अटार्नी जनरल अश्तर आसिफ अली की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने कल वाशिंगटन में विश्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने सिंधु जल समझौते को लेकर 1960 के अनुच्छेद 9 का हवाला देकर विश्व बैंक से मदद मांगी।
विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि है, जिस पर 19 सितम्बर 1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने कराची में हस्ताक्षर किए थे।
पाकिस्तान का कहना है कि भारत नीलम और चिनाब नदियों पर हाइड्रो पावर के लिए काम कर रहा है और इन नदियों पर बनाए जा रहे किशनगंगा और रैटिल जलविद्युत संयंत्र सिंधु जल संधि के मानकों का उल्लंघन है।
जल संधि के क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार दोनों देशों के आयुक्त की अध्यक्षता में किशनगंगा और रैटिल जलविद्युत संयंत्र के प्रारुप में विरोधाभाष को लेकर सिंधु जल स्थाई आयोग की 108वीं, 109वीं, 110वीं, 111वीं और 112वीं बैठक में चर्चा की गई, लेकिन इसका कोई हल सामने नहीं आया।
इसी वर्ष 14 और 15 जुलाई को दोनों देशों के बीच सचिव स्तर की बैठक भी आयोजित की गई थी। इस बैठक के बेनतीजा होने के बाद गत 19 अगस्त को पाकिस्तान ने भारत से इस विवाद के निपटारे का औपचारिक अनुरोध किया।