सीएम योगी बोले- अटल जी ने जीवनपर्यन्त राष्ट्रहित को सर्वोपरि माना
लखनऊ । देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की पहली पुण्य तिथि पर आज देश उनको नमन कर रहा है। लोकभवन में शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने भी श्रद्धांजलि सभा आयोजित की। उत्तर प्रदेश सरकार उनकी जयंती पर 25 दिसंबर को लोकभवन में अटल बिहारी वाजपेयी की 25 फीट ऊंची ऊँची प्रतिमा का लोकार्पण करेगी।
श्रद्धांजलि सभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने छह दशक तक मूल्यों की राजनीति की और सभी कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने कहा कि देशहित में कठोर फैसले लेने वाले अटल जी संवेदनशील कवि भी थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि संघर्षमय जीवन, परिवर्तनशील परिस्थितियों, राष्ट्रव्यापी आन्दोलन, जेल-जीवन आदि अनेक आयामों के प्रभाव और अनुभूतियों ने उनकी कविताओ में हमेशा अभिव्यक्ति पाई। ओजस्वी वक्ता होने के कारण विरोधी भी उनकी बात गम्भीरता से सुनते थे। अटल जी ने जीवनपर्यन्त राष्ट्रहित को सर्वोपरि माना। अटल जी के व्यक्तित्व का आकर्षण ऐसा था कि उनके चिरविरोधी, जिनका उनसे वैचारिक मतभेद था, वे भी उनका हृदय से सम्मान करते थे।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अपने प्रधानमंत्रित्व कार्यकाल के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना लागू कर उसे मूर्त रूप दिया। उन्होंने स्वर्णिम चतुर्भुज योजना, सर्वशिक्षा अभियान आदि की आधारशिला रखी। इनके साथ ही मेट्रो रेल के संचालन में उनके कार्यकाल में नए कीर्तिमान स्थापित किए गए। अटल जी के लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि था। उन्होंने देश में आधारभूत ढांचे के विकास और भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बहुआयामी कार्य किए। उनका मानना था कि देश के विकास का केन्द्र बिन्दु ग्रामीण भारत ही हो सकता है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अटल जी ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी और पं. दीनदयाल उपाध्याय जी से राजनीति के संस्कार ग्रहण किए तथा उन्हीं के बल पर सुशासन की आधारशिला रखी। हमारे लिये यह गौरव का विषय है कि उत्तर प्रदेश, श्रद्धेय अटल जी की कर्मभूमि रहा है। भारतीय संसद की गौरवशाली परम्पराओं को समृद्ध करने के लिए अटल जी को सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार भी प्रदान किया गया था। स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष थे। अटल जी का व्यक्तित्व बहुआयामी और प्रेरक था।
सीएम योगी आदित्यनाथ अटल जी ने संसद में कहा था कि मेरे लिए दल से बढ़ कर देश है, हम रहें न रहें, देश रहना चाहिए। अटल उस व्यक्तित्व का नाम है, जिसने कभी अपने सिद्धान्तों और आदर्शों से समझौता नहीं किया। जब सदन में विश्वासमत के लिए मतदान होना था तब अटल जी ने शूद्रक के नाटक ‘मृच्छकटिकम’ का भगवान राम को संदर्भित एक श्लोक पढ़ा था। ‘न भीतो मरणादस्मि केवलं दूषितो यश:’ अर्थात मैं मृत्यु से नहीं डरता, अगर डरता हूं तो बदनामी से डरता हूं। आज भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की प्रथम पुण्य तिथि के अवसर पर यहां आयोजित इस कार्यक्रम में सम्मिलित होकर मुझे अत्यन्त गौरव की अनुभूति हो रही है। इस अवसर पर मैं उन्हें नमन करते हुए श्रद्धांजलि देता हूं।