नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय अगले हफ्ते अयोध्या मंदिर विवाद प्रकरण में BJP नेता सुब्रमण्यन स्वामी की अर्जी पर विचार के लिए सहमत हो गया है। इस अर्जी में स्वामी ने कुछ कारण गिनाते हुए कहा है कि इस मामले की सुनवाई रोजाना होनी चाहिए। प्रधान न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर और न्यायमूर्ति अनिल आर दवे की पीठ के समक्ष स्वामी ने इस अर्जी पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया। इस पर न्यायालय ने उनकी अर्जी अगले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया।
स्वामी ने कहा कि शीर्ष अदालत अयोध्या विवाद से संबंधित मामले में पहले ही उन्हें पक्षकार बना चुकी है और चूंकि यह मामला साढ़े पांच साल से भी अधिक समय से लंबित है, इसलिए अब इसकी रोजाना सुनवाई होनी चाहिए। पीठ ने कहा कि वह इस विषय में स्वामी द्वारा पेश किए गए तर्कों को सुनना चाहती है। 26 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी को अयोध्या विवाद से संबंधित लंबित मामले में हस्तक्षेप की अनुमति दे दी थी। स्वामी अयोध्या में गिराई गई बाबरी मस्जिद की जगह पर राम मंदिर के निर्माण की अनुमति चाहते हैं।
स्वामी ने इससे पहले विवादित स्थल पर मंदिर निर्माण की अनुमति के लिए अर्जी दायर की थी और इस पर शीघ्र सुनवाई के लिये प्रधान न्यायाधीश के समक्ष इसका उल्लेख भी किया था। स्वामी ने अपनी याचिका में दावा किया था कि इस्लामिक देशों में प्रचलित परंपराओं के अनुसार सड़क निर्माण सहित विभिन्न सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए मस्जिद को किसी दूसरी जगह पर ले स्थांतरित किया जा सकता है, जबकि एक बार मंदिर का निर्माण हो जाए तो उसे हाथ भी नहीं लगाया जा सकता है। उन्होंने राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद स्थल के विवाद पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 3 जजों की पीठ द्वारा 30 सितंबर, 2010 को सुनाए गए फैसले को चुनौती देने वाली तमाम याचिकाओं का शीघ्र निपटारा करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया था।