सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर बदला आपने फैसला!
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को साफ किया कि इस त्योहारी मौसम में दिल्ली-एनसीआर में केवल ग्रीन पटाखों की बिक्री होगी। जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि जिन पटाखों का निर्माण पहले से हो चुका है, उन्हें इस त्योहारी मौसम में देश के अन्य-अन्य प्रदेशों में बेचा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने दीवाली से ठीक पहले पटाखों के बैन पर बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश में पटाखों पर पूरी तरह बैन नहीं लगाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुरक्षित और ग्रीन पटाखों का निर्माण और बिक्री पहले की तरह जारी रहेगी।
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने दीपावली पर पटाखे फोड़ने के लिए रात आठ बजे से 10 बजे तक का समय तय करने संबंधी अपने आदेश में बदलाव किया है। अदालत ने कहा है कि तमिलनाडु, पुडुचेरी जैसे स्थानों पर पटाखे फोड़ने के लिए समय में बदलाव होगा, लेकिन यह अवधि दिन में दो घंटे से अधिक नहीं होगी। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि दीपावली पर ‘हरित पटाखों’ का उपयोग करने के बारे में दिया गया उसका आदेश दिल्ली-एनसीआर के लिए था, भारत के सभी राज्यों के लिए नहीं। हालांकि अदालत ने कहा कि सिर्फ तमिलनाडु में ही दिवाली के दिन सुबह में पटाखे छोड़े जा सकेंगे। साथ ही कोर्ट ने पटाखों का स्टॉक 2 हफ्ते में खत्म करने की समय सीमा बढ़ाने से भी इनकार कर दिया है। पीठ ने कहा कि तमिलनाडु, पुडुचेरी और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में त्योहार पर सुबह चार से पांच बजे के बीच और रात को नौ से दस बजे के बीच एक-एक घंटे के लिए पटाखे फोड़े जा सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों फैसला दिया था कि दीवाली पर पूरे देश में सिर्फ दो घंटे रात 8 से 10 बजे तक ही पटाखे फोड़े जा सकेंगे। कोर्ट ने नए साल और क्रिसमस पर भी पटाखे फोड़ने के लिए एक-एक घंटे का वक्त तय किया था। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते ही पटाखों के इस्तेमाल पर कुछ शर्तों के साथ प्रतिबंध लगाया था।
दरअसल, दिल्ली सहित कई शहरों में बढ़ रहे वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए देशभर में पटाखों के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगाने की मांग की गई थी। इसी पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा था, ‘दिवाली पर रात 8 से 10 बजे के बीच ही पटाखे फोड़े जा सकेंगे। जबकि क्रिसमस और नए साल पर रात 11.55 से 12.30 तक ही पटाखे फोड़े जा सकेंगे।’ इसके अलावा अदालत ने कहा था, ‘दिल्ली में पटाखे केवल नामांकित स्थानों पर ही फोड़े जा सकेंगे, जिनकी पहचान हफ्तेभर में कर ली जाएगी। जुलाई 2005 में ध्वनि प्रदूषण पर आए फैसले में ध्वनि की सीमा बताई गई थी। केवल वही पटाखे फोड़े जा सकेंगे जो इस सीमा में आते होंगे। जबकि लड़ियां और अधिक प्रदूषण वाले पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है।’ दीवाली पर दो घंटे की टाइम लिमिट के फैसले पर पुनर्विचार के लिए तमिलनाडु सरकार ने कोर्ट में याचिका लगाई थी कि पटाखे फोड़ने का वक्त बढ़ाया जाए। तमिलनाडु सरकार ने दलील दी थी कि परंपरा के तहत राज्य में दिवाली की सुबह भी पटाखे फोड़े जाते हैं। इस पर कोर्ट ने कहा था कि पटाखा फोड़ने के लिए दो घंटे की समयसीमा पूरे देश में लागू होगी। हालांकि कोर्ट ने कहा था कि तमिलनाडु और पुडुचेरी की सरकारें स्थानीय मान्यताओं के मुताबिक दो घंटे का अपना टाइम स्लॉट चुन सकती हैं। पटाखों की बिक्री को लेकर भी उच्चतम न्यायालय ने कहा था, ‘पटाखों की बिक्री केवल लाइसेंस प्राप्त ट्रेडर्स ही कर सकेंगे, लेकिन उन्हें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि जो पटाखे वह बेच रहे हैं, वो अधिक प्रदूषण फैलाने वाले न हों। पटाखों की ऑनलाइन बिक्री नहीं होगी। अगर कोई ई-कॉमर्स साइट पटाखों की बिक्री करती है तो वह अदालत की अवमानना की जिम्मेदार होंगी।’ कोर्ट ने कहा था कि अगर इन नए नियमों का उल्लंघन होता है तो संबंधित इलाके का पुलिस इंचार्ज इसके लिए जिम्मेदार होगा। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “किसी भी धार्मिक त्योहार या शादियों में प्रतिबंधित कैमिकल वाले पटाखों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। तय डेसिबल लिमिट के अंदर आवाज निकालने वाले पटाखे ही जलाए जा सकते हैं।” सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि प्रतिबंध से जुड़ी याचिका पर विचार करते समय पटाखा उत्पादकों के आजीविका के मौलिक अधिकार और देश के 1.3 अरब लोगों के स्वास्थ्य अधिकार समेत विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखना होगा। कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) सभी वर्ग के लोगों पर लागू होता है और पटाखों पर देशव्यापी प्रतिबंध पर विचार करते समय संतुलन बरकरार रखने की जरूरत है।