सुप्रीम कोर्ट में मित्तल-रुईया की याचिका पर सुनवाई पूरी
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में राजग के शासन काल में अतिरिक्त स्पेक्ट्रम आबंटन से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में भारती सेल्यूलर लि के सीएमडी सुनील भारती मित्तल और एस्सार समूह के प्रवर्तक रवि रुईया को आरोपी के रूप में तलब करने के विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर गुरुवार को सनुवाई पूरी कर ली। कोर्ट मित्तल और रुईया की याचिकाओं पर फैसला बाद में सुनायेगा। प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष मित्तल के वकील फली नरीमन ने अंतिम बहस की। उन्होंने कहा कि विशेष अदालत ने उनके मुवक्किल को सम्मन जारी करके गलती की है क्योंकि आरोप पत्र में उन्हें आरोपी के रूप में नामित नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि सहायक विधिक सलाहकार (सीबीआई) ने कहा था कि सिर्फ लोकसेवकों को ही आरोपी बनाया जायेगा। उस समय सीबीआई के तत्कालीन निदेशक एपी सिंह ने कहा कि कंपनियों को भी आरोपी बनाया जा सकता है पर विशेष न्यायाधीश ने एक कदम आगे बढकर मित्तल को आरोपी के रूप में सम्मन कर लिया। नरीमन ने कहा कि प्रबंध निदेशक को कंपनी के किसी आपराधिक कृत्य के लिये अप्रत्यक्ष रूप में जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता जब तक कि उसके खिलाफ साक्ष्य नहीं हो। उन्होंने कहा कि तत्कालीन संचार मंत्री प्रमोद महाजन और तत्कालीन संचार सचिव श्यामल घोष के साथ मित्तल की बैठकों को लेकर कथित दावे में कुछ भी अनोखा नहीं है। एजेंसी