जीवनशैली
स्किन की स्क्रबिंग से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई
जानें, स्क्रबिंग के बारे में जरूरी बातें
ग्लोइंग और क्लियर स्किन पाने की बेस्ट रेमेडी है स्क्रब। लेकिन इसे जरूरत से ज्यादा यूज करने पर स्किन डैमेज हो सकती है। यही नहीं, स्क्रब को स्किन पर जेंटली न लगाने से भी नुकसान पहुंचता है। जानें, स्क्रबिंग के बारे में ऐसी बातें, जो आपके मिथकों को खत्म कर आपको कराएंगी सच्चाई से रूबरू…
अगर स्किन हो रही हो डल
मिथ: स्किन डल हो रही है, तो करें स्क्रब।
सच्चाई: अक्सर महिलाएं सोचती हैं कि स्किन की डलनेस को खत्म करने के लिए स्क्रब फायदेमंद है। स्किन टोन और टेक्सचर को इंप्रूव करने के लिए भी वह इसको लगाना प्रेफर करती हैं। ब्यूटीशन रेखा कहती हैं कि यह सच है कि स्क्रब करने से फेस ग्लो करने लगता है, लेकिन तभी जब आप उसका यूज सही तरह से करें। अगर आधी-अधूरी नॉलेज के साथ इसका यूज करती हैं, तो फेस पर डार्क कलर के स्पॉट्स के साथ स्किन डैमेज हो सकती है।
सच्चाई: अक्सर महिलाएं सोचती हैं कि स्किन की डलनेस को खत्म करने के लिए स्क्रब फायदेमंद है। स्किन टोन और टेक्सचर को इंप्रूव करने के लिए भी वह इसको लगाना प्रेफर करती हैं। ब्यूटीशन रेखा कहती हैं कि यह सच है कि स्क्रब करने से फेस ग्लो करने लगता है, लेकिन तभी जब आप उसका यूज सही तरह से करें। अगर आधी-अधूरी नॉलेज के साथ इसका यूज करती हैं, तो फेस पर डार्क कलर के स्पॉट्स के साथ स्किन डैमेज हो सकती है।
कितनी बार करनी चाहिए स्क्रबिंग?
मिथ: रोजाना स्क्रबिंग है फायदेमंद।
सच्चाई: बिल्कुल नहीं। स्क्रबिंग रेग्युलर न करें। भले ही स्क्रब स्किन को स्मूद बनाती है और इससे स्किन के डेड सेल्स रिमूव हो जाते हैं। लेकिन अगर इस प्रोसेस को बार-बार रिपीट किया जाए तो स्किन डैमेज होने लगती है। साथ ही स्किन की शाइनिंग खत्म हो जाती है और खुरदरापन बढ़ जाता है। इसलिए हफ्ते में दो बार स्क्रब करना ही काफी है।
सच्चाई: बिल्कुल नहीं। स्क्रबिंग रेग्युलर न करें। भले ही स्क्रब स्किन को स्मूद बनाती है और इससे स्किन के डेड सेल्स रिमूव हो जाते हैं। लेकिन अगर इस प्रोसेस को बार-बार रिपीट किया जाए तो स्किन डैमेज होने लगती है। साथ ही स्किन की शाइनिंग खत्म हो जाती है और खुरदरापन बढ़ जाता है। इसलिए हफ्ते में दो बार स्क्रब करना ही काफी है।
कैसे करनी चाहिए स्क्रबिंग?
मिथ: जितने टाइट हाथ, उतनी अच्छी स्क्रबिंग।
सच्चाई: अक्सर महिलाएं सोचती हैं कि टाइट हाथों से किया गया स्क्रब ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है। लेकिन ऐसा करने से स्किन पर रैशेज पड़ने का डर रहता है। ब्यूटी आर्टिस्ट मंजू बताती हैं कि स्क्रब हमेशा स्किन पर हल्का प्रेशर डालते हुए किया जाना चाहिए। खासतौर से आंखों और होंठों के आसपास के पार्ट्स पर क्योंकि ये पार्ट्स बेहद सेंसिटिव होते हैं।
सच्चाई: अक्सर महिलाएं सोचती हैं कि टाइट हाथों से किया गया स्क्रब ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है। लेकिन ऐसा करने से स्किन पर रैशेज पड़ने का डर रहता है। ब्यूटी आर्टिस्ट मंजू बताती हैं कि स्क्रब हमेशा स्किन पर हल्का प्रेशर डालते हुए किया जाना चाहिए। खासतौर से आंखों और होंठों के आसपास के पार्ट्स पर क्योंकि ये पार्ट्स बेहद सेंसिटिव होते हैं।
कैसा हो स्क्रब मिक्सचर?
मिथ: स्क्रब मिक्सचर जितना हार्ड, उतना फायदेमंद।
सच्चाई : स्क्रब मिक्सचर बहुत हार्ड नहीं होना चाहिए। हां, दरदरा हो लेकिन बारीक दरदरा। खासतौर से संतरे के छिलके, पपीते के बीज, खूबानी के बीज आदि से तैयार किया गया स्क्रब बारीक होना बेहद जरूरी है।
सच्चाई : स्क्रब मिक्सचर बहुत हार्ड नहीं होना चाहिए। हां, दरदरा हो लेकिन बारीक दरदरा। खासतौर से संतरे के छिलके, पपीते के बीज, खूबानी के बीज आदि से तैयार किया गया स्क्रब बारीक होना बेहद जरूरी है।
स्किन टाइप के अनुसार हो स्क्रबिंग
मिथ: हर स्किन टाइप के लिए स्क्रब प्रोसेस एक जैसा।
सच्चाई: नहीं ऐसा कतई नहीं है। आपको स्किन टाइप के मुताबिक ही स्क्रब का सिलेक्शन करना चाहिए। ड्राई स्किन पर सीधे स्क्रब अप्लाई न करें। पहले अपने फेस को भिगोएं। फिर स्क्रब की थोड़ी-सी क्वांटिटी लेकर उसमें कुछ बूंदे पानी की मिलाएं। फिर फेस पर अप्लाई करें। ऐसे ही ऑयली स्किन को पहले जरूरत होती है स्पेशल केयर के साथ एक्सफोलिएट करने की।
सच्चाई: नहीं ऐसा कतई नहीं है। आपको स्किन टाइप के मुताबिक ही स्क्रब का सिलेक्शन करना चाहिए। ड्राई स्किन पर सीधे स्क्रब अप्लाई न करें। पहले अपने फेस को भिगोएं। फिर स्क्रब की थोड़ी-सी क्वांटिटी लेकर उसमें कुछ बूंदे पानी की मिलाएं। फिर फेस पर अप्लाई करें। ऐसे ही ऑयली स्किन को पहले जरूरत होती है स्पेशल केयर के साथ एक्सफोलिएट करने की।