नई दिल्ली: वर्ष 2017 में गुरुग्राम के एक प्रतिष्ठित स्कूल में सात वर्षीय छात्र की हत्या के आरोपी की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांग है। 11वीं के छात्र के रहे आरोपी ने करनाल के ऑब्जर्वेशन होम से रिहाई की मांग करते हुए कहा है कि उसकी जान को खतरा है क्योंकि कई साथी कैदी कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए हैं।
जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने आरोपी की याचिका पर सीबीआई को एक जुलाई तक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है। पीठ ने आरोपी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनन कुमार मिश्रा और वकील दुर्गा दत्त की दलीलों को सुनने के बाद यह आदेश पारित किया। आरोपी ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के 28 अप्रैल के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई 27 जुलाई तक के लिए टाल दी गई है। याचिकाकर्ता के वकीलों का कहना था कि हाईकोर्ट ने कोविड-19 महामारी की खतरनाक स्थिति के बावजूद याचिका की तत्कालिकता को नजरअंदाज कर दिया और यह याचिकाकर्ता के जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।
उनका कहना था कि वह पहले ही लगभग तीन वर्ष और छह महीने ऑब्जर्वेशन होम में बिता चुका है। होम के 200 कैदियों में से 25 कोविड-19 पॉजिटिव हैं। याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट इस बात पर विचार करने में विफल रहा कि देश में कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका जताई गई है और इसका असर बच्चों और किशोरों पर पड़ने की आशंका है।
सीबीआई द्वारा इस मामले में दायर चार्जशीट के तहत आरोपी ने आठ सितंबर 2017 को परीक्षा स्थगित करने व प्रस्तावित अभिभावक-शिक्षक बैठक रद्द कराने के मकसद से छात्र की हत्या की थी। गुरुग्राम के भोंडसी इलाके में स्थित इस स्कूल के वॉशरूम में छात्र का शव मिला था। उसकी गला रेत कर हत्या की गई थी। इस सनसनीखेज घटना को लेकर देशभर में हंगामे के बाद मामले को सीबीआई के हवाले कर दिया गया था। शुरुआत में प्रदेश पुलिस ने इस मामले में स्कूल के बस कंडक्टर को गिरफ्तार किया था लेकिन बाद में उसे क्लीन चिट दे दी गई थी।