स्वस्तिक का चिह्न बनाने से पहले जान ले ये जरुरी बातें, गलतियां बढ़ा सकती हैं परेशानियां
किसी भी काम शुरुआत में भगवान श्री गणेश को याद किया जाता है। गणेशजी का प्रतीक चिह्न स्वस्तिक बनाया जाता है। मान्यता है कि स्वस्तिक बनाने से कार्य में सफलता मिलने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। स्वस्तिक नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करता है और सकारात्मकता को बढ़ाता है। उज्जैन की ज्योतिषाचार्य डॉ. विनिता नागर के अनुसार स्वस्तिक बनाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, वरना कार्यों में परेशानियां आ सकती हैं और कुछ अशुभ होने के योग बन सकते हैं।
उल्टा स्वस्तिक न बनाएं
ध्यान रखें कभी भी मंदिर के अलावा कहीं और उल्टा स्वस्तिक नहीं बनाना चाहिए। मंदिर में उल्टा स्वस्तिक मनोकामनाओं के लिए बनाया जाता है, लेकिन घर या दुकान में उल्टा स्वस्तिक नहीं बनाना चाहिए। ऐसा करने पर पूजा-पाठ का पूरा फल नहीं मिलता है।
टेढ़ा स्वस्तिक न बनाएं
स्वस्तिक एकदम सीधा बनाना चाहिए। टेढ़ा स्वस्तिक शुभ नहीं माना जाता है। ये शुभ चिह्न सुंदर, सीधा और साफ दिखना चाहिए।
स्वस्तिक के आसपास न रखें गंदगी
घर में या दुकान में जहां भी स्वस्तिक बनाया जाता है, उस जगह पर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। स्वस्तिक के आसपास गंदगी होना अमंगल की निशानी है।
स्वस्तिक से जुड़ी कुछ और बातें
– वैवाहिक जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिए पूजा करते समय हल्दी से स्वस्तिक बनाना चाहिए।
-सभी प्रकार की सामान्य पूजा, हवन में कुमकुम या रोली से स्वस्तिक बनाना चाहिए।
-घर को बुरी नजर से बचाने के लिए घर के बाहर गोबर से स्वस्तिक बनाना चाहिए।
-स्वस्तिक घर के मुख्य द्वार पर बनाया जाए तो इससे कई वास्तुदोष खत्म होते हैं।
– घर के बाहर बने स्वस्तिक से सकारात्मकता और दैवीय शक्तियां हमारे घर में प्रवेश करती हैं।