हरिद्वार: त्रिपुरा योग आश्रम के संस्थापक प्रसिद्ध गौवंश संरक्षक ब्रह्मलीन स्वामी अमलानंद महाराज की तीसरी पुण्य तिथि स्वामी शारदानंद महाराज के सानिध्य एवं स्वामी शरदपुरी महाराज के संयोजन में श्रद्धापूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर उपस्थित स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि स्वामी अमलानंद महाराज ने अपना सारा जीवन गौवंश के संरक्षण एवं संवर्धन में व्यतीत किया। उन्होंने सहीवाल नस्ल की गायो को बचाने के लिए विशेष प्रयास किये। सहीवाल नस्ल की गायों को उनके मांस के लिए काटा जाता था, और यह नस्ल विलुप्त होती जा रही थी। उनके इस महान कार्य को भुलाया नहीं जा सकता, स्वामी शारदानंद महाराज ने अपने गुरू भाई को स्मरण करते हुए कहा कि परम शिव भक्त स्वामी अमलानंद महाराज ने योग को देश विदेश में प्रचारित प्रसारित करने तथा शिक्षा के क्षेत्र में बहुत काम किया। संस्कृत और संस्कृति के उत्थान में उन्होंने देश के विभिन्न शहरों में संस्कृत विद्यालय स्थापित किये।
उन्होंने धर्म के प्रचार प्रसार में जो कार्य किया उससे धर्म और संस्कृति को संबल मिला। स्वामी अमलानंद महाराज की तृतीय पुण्य तिथि के अवसर पर विगत दो दिनों से त्रिपुरा योग आश्रम में रूद्राभिषेक, श्रीरामचरित मानस के अखण्ड पाठ भजन कीर्तन आदि का आयोजन पंडित चिंतामणि के संयोजन में हो रहा था जिसकी पूर्ण आहुति विशाल यज्ञ के साथ हुई। यज्ञ में अविनाश ओझा, अशोक राणा, नरेश राणा, डा.कनक द्विवेदी, डा. मनीषा, विजय राणा, आदि ने विश्व कल्याण के लिए आहुतियां प्रदान की। श्रद्धांजलि सभा के मध्य आचार्य नरहरि द्वारा रचित पुस्तक हिंदी बोधसार का विमोजन किया गया। स्वामी अमलानंद महाराज को उनकी तृतीय पुण्य तिथि पर स्वामी शंकरानंद स्वामी निरंजन स्वामी दयानंद, स्वामी रामनिवासपुरी, सहित संत समाज ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।