राष्ट्रीय
हेमा मालिनी के ड्रीम प्रोजेक्ट के विवाद का सच
दस्तक टाइम्स एजेन्सी/ मुंबई. मथुरा से बीजेपी सांसद हेमा मालिनी का कल्चरल कॉप्लेक्स बनाने का ड्रीम प्रोजेक्ट विवादों में है। इसमें खास बात यह है कि बीजेपी अब तक पिछली कांग्रेस सरकार के जमीन अलॉटमेंट के जिन तरीकों को गलत बताकर उसे घेरती रही है, अब उसी तरह हेमा को जमीन देकर खुद कॉन्ट्रोवर्सी में है।
मामला क्या है…
– बीजेपी लीडिंग महाराष्ट्र गवर्नमेंट ने हेमा को अंधेरी (वेस्ट) के आंबिवली इलाके में 2 हजार वर्ग मीटर जमीन का अलॉटकिया है।
– इसकी टाइमिंग ऐसी है कि यह कॉन्ट्रोवर्सी बढ़ता जा रहा है।
– दरअसल, पूरी मुंबई में विभिन्न पॉलिटिकल ऑर्गनाइजेशन से जुड़े एनजीओ को अलॉट ओपन स्पेस और मैदानों को मुंबई महानगर पालिका प्रशासन ने वापस लेने की मुहिम छेड़ी हुई है।
क्या है ओपन स्पेस वापस लेने की मुहीम
– मुंबई एमएनसी ऐसे 216 ओपन स्पेस को वापस लेने की मुहिम चला रही है और 36 वापस ले भी लिए गए हैं।
– इसमें अधिकांश शिवसेना से जुड़े हुए लोगों के हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि इन जमीनों को वापस लेने की मांग बीजेपी के ही एमएलए नेताओं की ओर से हुई। जिसे सीएम फडणवीस ने मंजूरी भी दे दी।
– चूंकि सीएम के ऑर्डर की वजह से शिवसेना के बड़े नेताओं की संस्थाओं पर मुंबई मनपा की जमीन वापस करने का दबाव बना है।
कैसे विवादित हुआ मामला
– यह भी माना जा रहा है कि शिवसेना से जुड़े लोगों की नाराजगी है कि एक तरफ महानगर पालिका हमसे जमीन वापस ले रही है वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के बाहर की सांसद को कौड़ियों के भाव में जमीन अलॉट कर रही है।
– लिहाजा हेमा को 29,360 वर्ग मीटर गार्डन (बगीचा) के लिए अलॉट जमीन में से 2 हजार वर्ग मीटर जमीन अलॉट करने का राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे का फैसला विवादित बन गया।
– वो भी तब जब हेमा को यह जमीन 1 फरवरी 1976 के रेडी रेकनर दर 35 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से दी है।
– यानी जो जमीन हेमा को अभी 70 हजार रुपए में दी जाने की बात कही जा रही है उसकी कीमत 21 करोड़ रुपए के आस-पास है।
और बढ़ सकती हैं मुसीबतें
– इस मामले में विवाद बढ़ सकता है। कांग्रेस एमएलए गोपाल दास अग्रवाल की अध्यक्षता वाली महाराष्ट्र पीएसी ने सरकार से वर्ष 2011 से अब तक शैक्षणिक व सामाजिक संस्थाओं और चेरिटेबल ट्रस्टों को अलॉट हुई जमीन की पूरी रिपोर्ट मांगी है।
– राजस्व विभाग को यह भी बताने को कहा गया है कि इन संस्थाओं को किस दर से जमीन आवंटित की गई?
– जिन शर्तों के अधीन जमीन दी गई थी। उसका पालन जमीन पाने वाली संस्था कर रही है या नहीं? क्या उसने जिस काम के लिए जमीन ली थी। वह काम शुरू किया है?
– यह भी बताने को कहा गया है। हेमा के लिए मुसीबत की बात यह है कि 1996 में शिवसेना-भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान उन्हें वर्सोवा के न्यू लिंकिंग रोड पर जमीन अलॉट हुई थी।
– सूत्रों के अनुसार उस जमीन को भी उन्होंने नहीं लौटाया है। शर्तों का भी पालन नहीं हुआ है।