अन्तर्राष्ट्रीय

अंडमान निकोबार के आदिवासियों ने अमेरिकी को तीरों से मारा, फिर रेत में दफनाया

अंडमान निकोबार के सेंटिनल द्वीप में अमेरिकी नागरिक जॉन एलन चाऊ की हत्या के मामले में 7 मछुआरों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. बता दें कि अमेरिकी नागरिक जॉन एलन चाऊ को संरक्षित सेंटेनलीज आदिवासियों ने मार दिया था.

सैंटनलीज आदिवासियों की आबादी 2011 की जनगणना के मुताबिक 40 है और ये बाहरी दुनिया से किसी भी तरह का संपर्क नहीं रखते हैं. अगर कोई बाहरी व्यक्ति इनके क्षेत्र में प्रवेश करता है तो ये आदिवासी उस पर हमला कर देते हैं. अक्सर लोग स्थानीय लोगों को घूस देकर इन तक पहुंचने की कोशिश करते हैं. एक मछुआरे ने पुलिस को बताया, 16 नवंबर को जब अमेरिका नागरिक द्वीप पर पहुंचा तो उस पर तीरों की बौछार होने लगी. इसके बाद आदिवासी अमेरिकी नागरिक को घसीटकर बीच तक ले गए. अगली सुबह वे चाऊ का शरीर रेत में आधा दफनाते हुए नजर आए.

एक सूत्र ने बताया, अमेरिकी नागरिक चाऊ ने 14 नवंबर को भी सैंटिनल द्वीप में जाने की कोशिश की थी लेकिन कामयाब नहीं हो पाया था. दो दिन बाद वह पूरी तैयारी के साथ वहां गया. उस पर तीरों से हमला हुआ लेकिन फिर भी वह रुका नहीं, चलता रहा. मछुआरों ने देखा कि आदिवासी उसके गले में एक रस्सी बांधकर उसके शरीर को घसीटकर ले जा रहे थे. मछुआरे डरे हुए थे इसलिए वहां से भाग गए लेकिन अगली सुबह लाश को तलाशते हुए समुद्र किनारे पहुंचे.

कहा जा रहा है कि चाऊ ने सैंटेनेलीज आदिवासियों के साथ दोस्ती करने की कोशिश की थी और उन्हें फुटबॉल, फिशिंग लाइन्स और मेडिकल किट जैसे तोहफे भी पेश किए थे. पोर्ट ब्लेयर पहुंचकर मछुआरों ने एक स्थानीय प्रीचर एलेक्स को पूरा वाकया बताया जो चाऊ का दोस्त भी था. एलेक्स ने चाऊ के अमेरिका में रह रहे परिवार से संपर्क किया जिसके बाद परिवार ने मदद के लिए नई दिल्ली स्थित यूएस दूतावास से संपर्क किया.

केंद्र शासित प्रदेश में अधिकारियों ने शव की तलाश के लिए हेलिकॉप्टर से सर्च ऑपरेशन किया. हालांकि, हेलिकॉप्टर द्वीप पर लैंड करने में नाकामयाब रहा क्योंकि लैंड करने से उन पर सैंटलीज आदिवासियों का हमला हो सकता था. एलेक्स ने बताया कि चाऊ पिछले कुछ सालों में कई बार अंडमान जा चुका था. चाऊ एक धर्म प्रचारक भी था जो सैंटनलीज लोगों को कन्वर्ट होने के लिए मनाना चाहता था.

गौरतलब है कि हाल तक उत्तरी सेंटीनल द्वीप पर बाहरी लोगों का जाना मना था . इस साल एक बड़ा कदम उठाते हुये सरकार ने संघ शासित इलाकों में इस द्वीप सहित 28 अन्य द्वीपों को 31 दिसम्बर, 2022 तक प्रतिबंधित क्षेत्र आज्ञापत्र (आरएपी) की सूची से बाहर कर दिया था. आरएपी को हटाने का आशय यह हुआ कि विदेशी लोग सरकार की अनुमति के बिना इन द्वीपों पर जा सकेंगे.

सैंटनेलीज बाहरी दुनिया के लोगों को दुश्मन समझते हैं और नजदीक आने पर आक्रामक तौर पर हमला करते हैं. 2004 में सुनामी आने के बाद जब भारतीय वायु सेना इस द्वीप पर निगरानी के लिए पहुंची थी तो सेना के हेलिकॉप्टर पर भी आदिवासियों ने तीर चलाए थे.

सीआईडी के एसपी दीपक यादव के मुताबिक यह आदिवासी समूह संवेदनशील हैं और इस इलाके में 60,000 साल से रह रहे हैं. इनसे संपर्क नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह संरक्षित समूह बाहरी दुनिया से संपर्क में आने पर रोग की चपेट में आ सकता है. उन्होंने कहा कि कोस्ट गार्ड और नौसेना लगातार इस इलाके में पेट्रोलिंग के जरिए लोगों को प्रवेश से रोकती है.

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