पर्यटन
अंद्रेता : कला और संस्कृति का अनूठा स्थल
स्तक टाइम्स/एजेंसी- अंद्रेता हिमाचल प्रदेश का एक सुंदर स्थान है, जो आपकी रचनाशीलता को बढ़ाता है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में पालमपुर से सड़क मार्ग से केवल 20 मिनट की दूरी तय करके आप अंद्रेता पहुंच जाते हैं। कला और संस्कृति के लिए इस स्थान का विशेष महत्व है। यह “आर्टिस्ट कॉलोनी’ के लिए जाना जाता है, जिसकी स्थापना 90 साल पहले आइरिश महिला नोरा रिचर्ड्स ने की थी। वे एक लेखिका और नाटककार थीं जो 20वीं सदी के मध्य में अंद्रेता में बस गई थीं और पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्रों को नाटक की शिक्षा देती थीं।
“अंद्रेता पॉटरी एंड क्राफ्ट सोसायटी’ यहां के तमाम दर्शनीय स्थलों में से एक है। इसे 1983 में स्थापित किया गया। इसका एक प्रोडक्शन स्टूडियो है, जो बहुत सुंदर पॉटरी का निर्माण कर रहा है। इससे लगा हुआ टेराकोटा म्यूजियम है। इसमें जहां एक तरफ आस-पास के गांवों के कुम्हारों के हाथों बनी वस्तुओं का संग्रह है, वहीं दूसरी ओर दुनियाभर से लाई गईं कलात्मक वस्तुएं हैं।
“अंद्रेता पॉटरी एंड क्राफ्ट सोसायटी’ यहां के तमाम दर्शनीय स्थलों में से एक है। इसे 1983 में स्थापित किया गया। इसका एक प्रोडक्शन स्टूडियो है, जो बहुत सुंदर पॉटरी का निर्माण कर रहा है। इससे लगा हुआ टेराकोटा म्यूजियम है। इसमें जहां एक तरफ आस-पास के गांवों के कुम्हारों के हाथों बनी वस्तुओं का संग्रह है, वहीं दूसरी ओर दुनियाभर से लाई गईं कलात्मक वस्तुएं हैं।
समय निकालकर नोरा रिचर्ड के घर अवश्य जाएं, जिन्होंने अंद्रेता को दुनिया के पर्यटन मानचित्र पर स्थान दिलाया। उनके घर से कुछ ही दूरी पर नोरा रिचर्ड कला केंद्र है। यह केंद्र कलाकारों, संगीतकारों, नर्तकों और लेखकों को यहां आने, कुछ समय बिताने, कार्यशाला का आयोजन करने, अंद्रेता की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करता रहा है।
यहां जाना न भूलें
अंद्रेता के आसपास सड़क मार्ग से थोड़ी-थोड़ी दूरी पर कई देखने लायक स्थान हैं। इनमें पालमपुर, बैजनाथ मंदिर, ताशीजोंग मठ और धर्मशाला प्रमुख हैं। अंद्रेता से मात्र 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पालमपुर अपने चाय के बागानों के लिए मशहूर है। इसे उत्तर भारत की चाय राजधानी के नाम से भी जाना जाता है।