राष्ट्रीय
अकाल तख्त जत्थेदार ने माना, राम रहीम को माफी देना गलती
दस्तक टाइम्स एजेन्सी/ आखिरकार श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने मान ही लिया कि डेरा सिरसा मुखी गुरमीत राम रहीम को माफी देना उनकी गलती थी। जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने यह खुलासा एक निजी टीवी चैनल के साथ बातचीत के दौरान किया।
जत्थेदार ने कहा कि अगर एसजीपीसी कहेगी तो वह इस मामले में अपने पद से त्यागपत्र देने के लिए तैयार है। जत्थेदार ने स्पष्ट किया कि डेरा मुखी को माफी नहीं दी गई थी, सिर्फ उनके माफी वाले पत्र को स्वीकार कर विचार करने के लिए रखा गया था।
उन्होंने कहा कि सिख संगत के रोष को देखते हुए माफीनामे वाले पत्र को भी डेरा मुखी को वापस कर दिया गया था।
जत्थेदार ने कहा कि सिख कौम की डेरा मुखी के साथ कोई भी सांझ नहीं है। कौम को उस व्यक्ति के साथ कोई सांझ नहीं रखनी चाहिए जिसने कौम के महान गुरु साहिब का स्वांग किया हो। सिख कौम इस तरह की गलती को किसी भी कीमत पर माफ नहीं करती।
एक सवाल के जवाब में जत्थेदार ने कहा कि राज्य में नशे का कारोबार बढ़ना लीडरशिप की गलती है। इसके लिए पंजाब का पूरा नेतृत्व जिम्मेवार है।
उन्होंने यह भी कहा कि जो राजनीतिक दल तख्त साहिबों के आदेशों को स्वीकार नहीं करते, उनको भी तलब किया जाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि सिख एक अलग कौम है। इसके लिए आरएसएस से प्रमाणपत्र लेने की जरूरत नहीं है।