राजनीति

अक्टूबर के महीने में आये सियासी युवराजों के अच्छे दिन

2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने झारखंड के पलामू की जनसभा में कहा था, “कांग्रेस मां और बेटे की पार्टी है. समाजवादी पार्टी बाप, बेटे और बहू की, राष्ट्रीय जनता दल पति-पत्नी की और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा बाप-बेटे की पार्टियां हैं.” इन पार्टियों में सत्ता का हस्तांतरण बस एक औपचरिकता हैं और सीधे पार्टी की कमान परिवारिक वारिश की तरह हस्तांतरित होती है. इन सियासी दलों से विधायक, सांसद तो बना जा सकता है, लेकिन पार्टी अध्यक्ष के पद पर ताजपोशी नामुमकिन है.

तीन युवराजों को पार्टी की कमान

अक्टूबर का महीना चल रहा है और तीन चर्चित राजनीतिक पार्टियों में कमान पर चर्चा गरम है और बढ़ी सक्रियता सिर्फ युवराजों को कमान सौंपने को लेकर है. ये पार्टियां देश की सबसे पुरानी और सबसे अधिक समय तक सत्ता में रही कांग्रेस पार्टी, यूपी की समाजवादी पार्टी और बिहार की सत्ता में लंबे समय तक बनी रही आरजेडी को लेकर है.

राहुल की ताजपोशी का मूहुर्त

कांग्रेस की कमान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को सौंपने के लिए तैयारी हो चुकी है. अक्टूबर के अंत तक राहुल गांधी की कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर ताजपोशी हो सकती है. माना जा रहा है राहुल गांधी 31 अक्टूबर तक कांग्रेस अध्यक्ष पद का चार्ज संभाल सकते हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष चुनावी प्रक्रिया या औपचरिकता

मुल्लापल्ली रामचंद्रन के नेतृत्व में पार्टी चुनाव कमेटी पूरे कार्यक्रम की योजना फाइनल कर रही है. स्टेट रिटर्निंग अफसर अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में  डेलीगेट्स की लिस्ट जारी कर देंगे. जिसके बाद राज्य डेलिगेट्स द्वारा प्रस्ताव पास कर प्रदेश अध्यक्ष को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने का अधिकार दिए जाने की संभावना है.

सचिन पायलट ने दिए संकेत

राजस्थान कांग्रेस के प्रमुख सचिन पायलट ने कहा था कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने का समय आ गया है. उन्होंने कहा था, ‘दिवाली के कुछ समय के बाद राहुल यह जिम्मेदारी संभाल सकते हैं.’ कांग्रेस अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी का नाम तय है, तो चुनावी प्रकिया महज औपचारिकता कही जा सकती है.

अखिलेश को मिली मुलायम की विरासत

अक्टूबर का महीना अखिलेश यादव के लिए फील गुड रहा. समाजवादी पार्टी में एक साल तक मचे घमासान के बाद मुलायम सिंह यादव की सियासी विरासत अखिरकार अखिलेश यादव को मिली. अखिलेश यादव ने जनवरी में ही सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान अपने हाथों में ले ली थी, लेकिन आधिकारिक रूप से उन्हें आगरा के राष्ट्रीय अधिवेशन में 5 साल के लिए अध्यक्ष निर्विरोध चुना गया.

शिवपाल को किया दरकिनार

सपा में अखिलेश से ज्यादा वरिष्ठ और अनुभावी नेता मौजूद हैं, लेकिन उन्हें पार्टी कमान नहीं मिली है. इतना ही नहीं मुलायम के हनुमान कहे जाने वाले शिवपाल यादव भी दरकिनार कर दिए हैं. अखिलेश यादव की ताजपोशी महज औपचरिकता रही है, न कोई चुनावी प्रकिया और नहीं कोई चुनौती. 

तेजस्वी के अच्छे दिन पर मचा घमासान

वहीं, आरजेडी और लालू यादव की राजनीतिक विरासत तेजस्वी यादव के हाथों में सौंपे जाने की कवायद शुरू होते ही पार्टी में घमासान मच गई. तेजस्वी को आरजेडी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की योजना है. आरजेडी प्रमुख लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी द्वारा बुधवार को पार्टी के विधायकों सांसदों और जिलाध्यक्षों की की बुलाई, जो पार्टी संगठनात्मक चुनाव के लिए थी.  आरजेडी के संगठन चुनाव के लिए 20 नवंबर की तारीख तय हो गई.

रघुवंश प्रसाद का छलका दर्द 

बता दें कि आरजेडी के संगठन का चुनाव 2016 में हो चुके थे और इसका कार्यकाल 2019 तक था. इसके बावजूद फिर से चुनाव कराने का फैसला किया है. इसी के तहत तेजस्वी की पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी की जाएगी. आरजेडी के उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद ने कहा, ‘पार्टी में संगठात्मक चुनाव दिखाने के लिए है. ये पहले से तय रहता है कि किसको किस पद पर बैठाना है.’ रघुवंश के बयान को आरजेडी के परिवारवाद के मद्देनजर देखा जा रहा है. दरअसल आरजेडी को खड़ा करने में रघुवंश प्रसाद की भी अहम भूमिका है. ऐसे में तेजस्वी को कमान देने से रघुवंश प्रसाद का दर्द छलकना वाजिब है.

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