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अक्‍टूबर में मार्केट की दिशा तय करेंगे ये 5 फैक्‍ट

एक लंबे वीकेंड के बाद मंगलवार को शेयर बाजार खुलेगा. इस कारोबारी हफ्ते की शुरुआत से लेकर अक्‍टूबर महीने में कई अहम फैक्‍टर बाजार पर असर डालेंगे. अक्‍टूबर महीना घरेलू शेयर बाजार के लिए काफी अहम साबित होगा. क्‍योंकि इस महीने के दौरान निवेशकों की नजर 5 अहम फैक्‍टर पर रहेगी. ये फैक्‍टर मार्केट की दशा औद दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे.

मौद्रिक नीति समिति की बैठक

अक्‍टूबर महीने के पहले कारोबारी हफ्ते की शुरुआत मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी ) की बैठक से होगा. 3 व 4 अक्‍टूबर को यह बैठक होनी है. 6 सदस्‍यीय समिति आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल की अध्‍यक्षता में रेपो रेट घटाने को लेकर कोई फैसला ले सकती है. इस दौरान मार्केट की नजर भी इस पर रहेगी. इसके साथ ही लगातार गिर रही जीडीपी के बीच समिति  इकोनॉमी को लेकर क्‍या रुख अख्तियार करती है, इस पर भी सबकी नजर रहेगी. 

दूसरे क्‍वार्टर के नतीजे

अक्‍टूबर महीने में ऑटो कंपनियों समेत कई आईटी व देश की अन्‍य बड़ी कंपनियों के दूसरे क्‍वार्टर के रिजल्‍ट आ सकते हैं. हमेशा की तरह इन कंपनियों के रिजल्‍ट मार्केट की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे.

इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के आंकड़े

इसी महीने इंडस्ट्रियल प्रोडक्‍शन के आंकड़े आने वाले हैं. ये आंकड़े अक्‍टूबर के दूसरे हफ्ते में आ सकते हैं. इससे पहले आए घरेलू अर्थव्‍यवस्‍था के आंकड़ों ने मार्केट को निराश किया था. ऐसे में बाजार की इस महीने आने वाले आकंड़ों पर कड़ी नजर रहेगी और मार्केट की दिशा तय करने में ये अहम भूमिका निभा सकते हैं.

विदेशी निवेशकों का रुख

पिछले दिनों विदेशी निवेशकों का रुख घरेलू शेयर बाजार को लेकर कुछ अच्‍छा नहीं रहा है. सितंबर महीने में विदेशी निवेशकों का निकलना जारी है. ऐसे में अक्‍टूबर में वह घरेलू बाजार को लेकर क्‍या रुख अपनाते हैं, इस पर भी सबकी नजर रहेगी. अगर विदेशी निवेशकों की तरफ से बिकवाली की रफ्तार तेज होने से बाजार पर दबाव बढ़ सकता है.

अमेरिका और उत्‍तर कोरिया की टेंशन

अमेरिका और उत्‍तर कोरिया के बीच करीब पिछले एक महीने से तनाव जारी है. सितंबर महीने में इसका बाजार काफी ज्‍यादा असर पड़ा था. कई बार बाजार इसकी वजह से दबाव में भी आ गया था. ऐसे में अक्‍टूबर महीने में अमेरिका और उत्‍तर कोरिया के बीच जारी तनाव पर भी मार्केट की नजर रहेगी. इनके बीच फिर अगर कोई बयानबाजी होती है, तो उसका बाजार पर असर पड़ना लाजमी है और बिकवाली बढ़ने का डर बना रहेगा.

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