अखिलेश की हुई 12460 टीचरों की नियुक्ति रद्द, 68 हजार पदों पर भर्ती की होगी CBI जांच
लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल में यानी दिसम्बर 2016 में सहायक अध्यापक के 12460 पदों पर की गयी भर्ती को नियम विरुद्ध करार देते हुए इसे गुरुवार को निरस्त कर दिया. अदालत ने एक अन्य निर्णय में प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापकों के 68500 खाली पदों के सापेक्ष की गयी भर्ती की भी पूरी प्रक्रिया की सीबीआई जांच के आदेश दे दिये.
न्यायमूर्ति इरशाद अली की पीठ ने सहायक अध्यापकों के 12460 पदों के मामले में दायर कई याचिकाओं का सामूहिक निस्तारण करते हुए यह आदेश दिये. अदालत ने कहा कि 21 दिसम्बर 2016 को तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार द्वारा जारी विज्ञापन के आधार पर की गयी सहायक अध्यापकों की भर्ती उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (शिक्षक) सेवा नियमावली 1981 के खिलाफ थी. अदालत ने सरकार को आदेश दिये हैं कि वह अभ्यर्थियों के चयन के लिये नियमों के अनुरूप नये सिरे से प्रक्रिया शुरू करे. न्यायालय ने इसके लिये राज्य सरकार को तीन माह का समय दिया है.
सीबीआई को 26 नवम्बर को स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा
इसी पीठ ने एक अन्य फैसले में इस साल 23 जनवरी को जारी विज्ञापन के तहत प्राइमरी पाठशालाओं में सहायक अध्यापकों के 68500 पदों पर शुरू की गयी सम्पूर्ण भर्ती प्रक्रिया की सीबीआई जांच के आदेश दिये. अदालत ने यह भी निर्देश दिये कि इस भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी साबित होने पर दोषी अधिकारियों के खिलाफ सक्षम प्राधिकारियों द्वारा कार्रवाई की जानी चाहिये. न्यायालय सीबीआई को इस मामले में अपनी प्रगति रिपोर्ट 26 नवम्बर को पेश करने के आदेश देने के साथ-साथ मामले की जांच छह माह में पूरी करने के निर्देश भी दिये हैं.