अखिलेश के ‘पाले’ में पहुंचे मुलायम सिंह
लखनऊ: सियासत में चरखा दांव के लिए मशहूर मुलायम सिंह यादव ने मंगलवार को इसका बखूबी प्रदर्शन ‘घर’ में ही किया। मुलायम दोपहर में बेटे अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी छोड़कर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाने वाले छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव के 6, एलबीएस स्थित कार्यालय पहुंच गए। बड़े भाई के आमद से गदगद शिवपाल ने उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दे डाला। हालांकि, शिवपाल खेमे में वह खुशी कुछ देर भी नहीं ठहर सकी और उनके कार्यालय से निकलकर मुलायम बेटे अखिलेश के ‘पाले’ में बैठ गए। समाजवादी पार्टी कार्यालय पहुंच उन्होंने अखिलेश संग कार्यकर्ताओं से सियासी गुफ्तगू कर डाली। एसपी में दो साल पहले शुरू हुए परि’वार’ के बाद से अब अखिलेश और शिवपाल की राहें साफ तौर पर अलग हो चुकी हैं। हालांकि, मुलायम सिंह ने ‘आशीर्वाद’ के लिए अपने पांव अब भी दोनों तरफ रख रखे हैं। दोनों पक्षों में ‘असली’ समाजवादी तय होने के लिए यह बहुत अहम है कि मुलायम किस पाले में खड़े हैं। मंगलवार को एक बार फिर इसकी दशा-दिशा तय होते-होते यथावत हो गई। एसपी के राष्ट्रीय संरक्षक मुलायम ने शिवपाल के मंच से समाजवादी पार्टी की की तारीफ में कसीदे गढ़ने शुरू किए। थोड़ी देर तक तो उनके भाई शिवपाल ने समर्थकों सहित इसे सुना फिर नेताजी को याद दिलाया कि आप एसपी नहीं प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मंच पर है। मुलायम सिंह अनजान से बोले, ‘अच्छा! पार्टी का नाम बदल गया है।’ शिवपाल ने फिर कहा ‘ नेताजी! यही असली समाजवादी है और आपको इसका अध्यक्ष बनना है।’ नेताजी प्रस्ताव पर हां या ना किए बिना बोले ‘जरूरी कदम था। राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाओ।’ उत्साहित शिवपाल ने जल्द राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाने और मुलायम को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दे डाला। इसके बाद करीब 20 मिनट तक मुलायम सिंह देश और सियासत के तमाम मुद्दों पर तो बोले, लेकिन शिवपाल के प्रस्ताव पर नहीं। इसके बाद शिवपाल की पार्टी के झंडे संग फोटो खिंचवाई और एसपी का झंडा लगी जिस गाड़ी से आए थे, उसी से लौट गए। सियासी हलकों में इस घटनाक्रम के मायने तलाशे जाते, इसके पहले ही मुलायम एसपी के प्रदेश कार्यालय पहुंच गए। सूत्रों के अनुसार मुलायम को बताया गया कि पार्टी कार्यालय पर कार्यकर्ता उन्हें सुनना चाहते हैं तो उन्होंने गाड़ी एसपी कार्यालय की ओर मुड़वा दी। वहां पहले से मौजूद बेटे अखिलेश ने मुलायम को ले जाकर कुर्सी पर बिठाया। थोड़ी देर चर्चा के बाद मुलायम ने लोहिया सभागार में कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और किसानों, नौजवानों, महिलाओं की लड़ाई लड़ एसपी को मजबूत बनाने के गुरुमंत्र दिए। मुलायम यूं ही अखिलेश और शिवपाल दोनों के साथ नहीं खड़े हो रहे। उनके करीबी लोगों का कहना है कि नेताजी अखिलेश और शिवपाल दोनों का करीबी बने रहना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी दोनों जगह उनका दमखम बना रहे ताकि अपने करीबी लोगों को दोनों दलों में ‘शामिल’ करा सकें। खासतौर पर उन्हें अपनी छोटी बहू अपर्णा के सियासी करियर की चिंता है, जिन्हें अब समाजवादी पार्टी से टिकट मिलने की संभावना न के बराबर है। मुलायम सिंह चाहते हैं कि शिवपाल अपर्णा को अपनी पार्टी से टिकट दें।