अखिलेश सरकार ने 13 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए किया चयन
लखनऊ. पीएम नरेंद्र मोदी के स्मार्ट सिटी योजना के तहत अब अखिलेश सरकार ने भी निर्धारित मानकों के अनुसार 13 शहरों का चयन कर लिया है। मुख्य सचिव आलोक रंजन की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है। अब केंद्र सरकार को इन शहरों के नाम भेजे जाएंगे। पहले फेज में 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की योजना है, जिसमें यूपी के 13 शहर शामिल होंगे। वहीं, शहरी परिवर्तन और कायाकल्प के लिए अटल मिशन योजना के तहत भी प्रदेश के 64 शहरों के कायाकल्प की उम्मीद है। यह भी बताया जा रहा है कि यूपी को सबसे ज्यादा स्मार्ट सिटी दिए गए हैं।भारत सरकार द्वारा निर्धारित प्रारूप की गाइड लाइंस के अनुसार, मार्किंग के आधार पर प्रदेश के जनपद अलीगढ़, मुरादाबाद, सहानरपुर, बरेली, झांसी, इलाहाबाद, आगरा, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, गाजियाबाद, रामपुर और मेरठ इस लिस्ट में शामिल हैं। इसे अब केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।भारत सरकार ने किसी भी शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए 15 सूत्रीय मानक रखे हैं। इसमें ऑनलाइन शिकायत प्रणाली और रेस्पॉन्स, कम से कम एक ई-पत्रिका का प्रकाशन, वेबसाइट पर पिछले दो वर्षों के बजट का विवरण, सर्विस डिलीवरी में हुए लेट पर पेनाल्टी की व्यवस्था, स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शौचालयों में वृद्धि, कर राजस्व, शुल्क और सर्विस चार्ज सहित अन्य का आय में हिस्सा, जल आपूर्ति की स्थापना और मॉनिटरिंग लागत का प्रतिशत, 2014-15 में इस्तेमाल किए गए आंतरिक राजस्व स्त्रोतों का अशंदान, जेएनएनयूआरएम में मार्च 2012 तक कराए गए कामों की प्रगति, जेएनएनयूआरएम से शहरी सुधारों का प्राप्त लक्ष्य, पिछले तीन साल में टैक्स, फीस, सरचार्ज के जरिए कुल इनकम शामिल हैं।90 से 75 अंक पाने वाले शहरों का हुआ चयनमुख्य सचिव आलोक रंजन की अध्यक्षता में हुई बैठक में 90 से 75 अंक पाने वाले 13 शहरों का चयन किया गया था। इसके लिए मानक पहले ही जारी भी कर दिए गए गए थे। प्रदेश सरकार ने सभी शहरों से प्रस्ताव मिले थे जिनमें मानकों के बिंदु के हिसाब से अंक मिलने थे। इसमें 13 शहरों के अलावा बाकी शहरों को खुद को अपडेट करने को कहा है गया है।नगर विकास विभाग के सचिव एसपी सिंह ने बताया कि चयनित शहरों को स्मार्ट सिटी का प्रस्ताव तैयार करना होगा। इसका मूल्यांकन इंटरनेशनल एजेंसी ब्लूमवर्क करेगी। चयनित शहरों को अपने यहां लागू सुधारों को सुचारू रूप से चलाना होगा। शासन और केंद्र दोनों ही स्तर से इसकी नियमित मॉनिटरिंग होगी। बैठक में शहरी विकास मंत्रालय के निदेशक मृणालकांत त्रिपाठी भी शामिल थे।