अगर आपकी पत्नी की उम्र हैं तीस साल के आसापास तो जरुर पढ़ें ये खबर…
इस उम्र के बाद वजन बढ़ने के कारण पेट, पेन्क्रियाज, गॉल ब्लैडर जैसे कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। आमतौर पर लोग कैंसर के शुरुआती संकेतों को इग्नोर करने की गलती करते हैं। ऐसे में इस बीमारी का पता चलने तक प्रॉब्लम बहुत बढ़ चुकी होती है।
अपोलो इंद्रप्रस्थ हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सिद्धार्थ साहिनी (सर्जिकल ऑन्कोलॉजी)का कहना है कि शुरुआती समय में ही कैंसर का पता चल जाए, तो इस प्रॉब्लम को कंट्रोल करना आसान होता है।
मेनोपॉज केबाद महिलाओं में हड्डियों से जुड़ी समस्याओं का होना आम है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मेनोपॉज के बाद महिलाओें में एस्ट्रोजन हाॅर्मोन की मात्रा कम हो जाती है। शरीर में इस हाॅर्मोन का निर्माण ओवरी के द्वारा ही होता है। यह हड्डियों के क्षरण को रोकने में मददगार होता है, लेकिन एस्ट्रोजन के स्तर में कमी होने से महिलाओं में ओस्टियोपोरोसिस की समस्या पैदा होती है। एस्ट्रोजन की कमी होने पर कैल्शियम पचाने की क्षमता भी कम हो जाती है।
जिन महिलाओं को पीरियड को लेकर समस्याएं रहती हैं, उनमें भी ओस्टियोपोरोसिस की समस्या पाई जाती है। कैल्शियम की कमी के कारण गर्भपात और बांझपन जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।
ओस्टियोपोरोसिस का सीधा मतलब है शरीर में कैल्शियम की कमी। बचपन से लेकर तीस साल की उम्र तक कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा जरूरी है। हड्डियों को मजबूत बनाने में कैल्शियम और फाॅस्फोरस की अहम भूमिका होती है। इस उम्र में हड्डियों में जितना कैल्शियम और फाॅस्फोरस होगा, हड्डियां उतनी मजबूत होंगी और आगे चलकर ओस्टियोपोरोसिस का खतरा भी कम होगा।