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अगर इस बैंक में हो आपका खाता, जल्द बदलवा लें चेकबुक, पासबुक


नई दिल्ली : निजी बैंक आईडीएफसी बैंक और नॉन बैंकिंग फाइनैंशल कंपनी (NBFC) कैपिटल फर्स्ट का विलय हो चुका है, जिसके करीब 50 लाख से ज्यादा कस्टमर होंगे। IDFC बैंक का नया नाम IDFC फर्स्ट बैंक हो गया है। इस विलय से आईडीएफसी को फायदा होगा जिससे वह अपनी संपत्ति को तेजी से बढ़ा सकेगा। वी वैद्यनाथन नए बैंक के एमडी और सीईओ होंगे। वी वैद्यनाथन के नाम पर आरबीआई से मंजूरी मिल गई है। राजीव लाल बैंक के नॉन एक्जिक्यूटिव चेयरमैन है। ग्रामीण इलाके में बैंक की करीब 100 शाखाएं हैं। मौजूदा समय में बैंक की कुल 200 शाखाएं हैं। ग्राहकों पर क्या असर होगा? एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसे में बैंक ग्राहकों पर ज्यादा असर नहीं होगा, क्योंकि बैंक खुद चेकबुक बदल देता है। साथ ही, ग्राहकों को पासबुक, चेकबुक बदलवाने के लिए ज्यादा समय दिया जाएगा। बैंक इसकी जानकारी एसएमस, ईमेल और फोन के जरिए देगा। आईडीएफसी बैंक और कैपिटल फर्स्ट के मर्जर को मंजूरी मिल गई है। इस मर्जर में कैपिटल फर्स्ट के 10 शेयर के बदले आईडीएफसी बैंक के 139 शेयर मिलेंगे। इस डील से आईडीएफसी बैंक के मुखिया राजीव लाल के लिए एक बड़ी सफलता होगी, उन्होंने 2014 में बैंक का लाइसेंस लिया था। वहीं कैपिटल फर्स्ट के चेयरमैन वी विद्यानाथन के लिए यह आगे बढ़ने में फायदेमंद साबित होगा। आईडीएफसी बैंक का मानना है कि इस मर्जर से उसकी बैलेंस शीट और मजबूत होगी। यही नहीं बैंक को अपना हाउसिंग फाइनेंस बिजनेस बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के एमडी और सीईओ वी वैद्यनाथन ने सीएनबीसी-आवाज से कहा कि पहले 2 साल निवेश का फेज होगा। 2 साल के बाद बैंक शानदार ग्रोथ देगा। 5 साल में बैंक की रिटेल लोन बुक 1 लाख करोड़ रुपये की होगी। बैंक की तरफ से अपने ग्राहकों को बेहतर सुविधा दी जाएगी। बैंक की रिटेल ग्राहकों पर फोकस करने की योजना है। बैंक बनने से लागत में कमी आएगी। उन्होंने आगे कहा कि 3-4 साल में बैंक की आरओई डबल डिजिट में होने की उम्मीद है। बैंक के कस्टमर सर्विस को और बेहतर बनाने पर जोर रहेगा। ग्रामीण इलाके में बैंक की करीब 100 शाखाएं हैं। मौजूदा समय में बैंक की 200 शाखाएं हैं, उन्होंने ये भी कहा कि कैपिटल फर्स्ट क्रेडिट का पोर्टफोलियो बेहतर है।

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