व्यापार

अगर ऐसा हुआ तो तीन महीने के भीतर भारत आएगा माल्या

ब्रिटेन के गृह मंत्रालय ने भारतीय बैंकों का हजारों करोड़ रुपये लेकर फरार विजय माल्या के प्रत्यर्पण आदेश पर मुहर लगा दी है. अब माल्या के प्रत्यर्पण का मामला पूरी तरह से कोर्ट पर निर्भर है. बड़ा सवाल यह है कि क्या माल्या लोकसभा चुनाव तक यानी मई 2019 से पहले भारत लाया जा सकता है, इसका जवाब हां में है, लेकिन इसके लिए कुछ किंतु-परंतु हैं. आइए जानते हैं कि माल्या का जल्द प्रत्यर्पण किस सूरत में संभव है.

अगर ऐसा हुआ तो तीन महीने के भीतर भारत आएगा माल्यागौरतलब है कि विजय माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश गत 10 दिसंबर, 2018 को ब्रिटेन के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के चीफ मजिस्ट्रेट ने दिया था, जिसे वहां के गृह मंत्री साजिद जावेद ने 3 फरवरी को मंजूरी दे दी है. अब विजय माल्या के पास ऊपरी अदालत में अपील के लिए 14 दिन का समय है. माल्या ने ट्वीट कर इस बात की पुष्टि भी की है कि वह इसके खिलाफ अपील करने जा रहा है. माल्या को वापस लाने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और भारतीय जांच एजेंसियों ने लंबी लड़ाई लड़ी है.

विजय माल्या ने होम डिपार्टमेंट के निर्णय पर पहली प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट में लिखा है, ’10 दिसंबर, 2018 के वेस्टमिंस्टर कोर्ट के निर्णय के बाद ही मैने अपील की मंशा जाहिर की थी. होम सेक्रेटरी के निर्णय से पहले मैं अपील की प्रक्रिया की शुरुआत नहीं कर पाया. अब मैं अपील की प्रक्रिया शुरू करूंगा.’

ये है अड़चन

माल्या की अपील पर सबसे पहले एक जज वाले हाईकोर्ट की बेंच में सुनवाई होगी. यह जज भी यदि प्रत्यर्पण के आदेश पर मुहर लगाते हैं, लेकिन आगे अपील की अनुमति भी दे देते हैं तो उसके बाद माल्या की अपील पर हाईकोर्ट के दो जज सुनवाई करेंगे. इसके बाद माल्या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है कि उसके केस की सुनवाई वहां की जाए. अगर सुप्रीम कोर्ट यह मंजूर कर लेता है तो पूरे मामले की सुनवाई पूरी होने में करीब 18 महीने लग जाएंगे.

मई से पहले भारत लाना संभव

लेकिन यदि अपील के पहले चरण में ही हाईकोर्ट ने प्रत्यर्पण पर मुहर लगा दी और माल्या को आगे अपील की इजाजत नहीं दी, तो माल्या को जितनी जल्दी हो सके प्रत्यर्पित कर भारत लाया जा सकेगा. तब इस बात की प्रबल संभावना होगी कि माल्या को मई, 2019 से पहले ही भारत लाया जाए.

कारोबारी विजय माल्या पिछले कई साल से भारत सरकार और कर्ज देने वाले कई बैंकों के लिए सिरदर्द बना हुआ है. 9000 करोड़ का कर्ज लेकर फरार माल्या लंदन में गिरफ्तार भी हुआ था, लेकिन उसे तत्काल जमानत मिल गई.

साल 2017 में 8 फरवरी को भारत सरकार ने ब्रिटेन को माल्या के प्रत्यर्पण की अर्जी दी थी. उसी साल जनवरी में सीबीआई की विशेष अदालत ने आईडीबीआई लोन डिफाल्ट केस में माल्या के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था. साल 2012 में पहली बार बैंकों के कंसोर्टियम ने यह खुलासा किया कि विजय माल्या ने उनसे करीब 7,000 करोड़ रुपये का लोन लिया है और चुका नहीं पा रहे.

Related Articles

Back to top button