दरअसल फेसबुक के स्वामित्व वाले व्हाट्सऐप का कहना है कि वह डिफॉल्ट रूप से एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन तकनीक का इस्तेमाल करता है। ऐसे में वह भी मैसेज को पढ़ा नहीं जा सकता है, क्योंकि एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन का मतलब है कि मैसेज, भेजने वाले और प्राप्त करने वाले के बीच ही रहता है।
इस मामले पर एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए व्हाट्सऐप के कम्युनिकेशन प्रमुख कार्ल वूग ने कहा कि सरकार के प्रस्तावित नियमों में से जो सबसे ज्यादा चिंता का विषय मैसेजेज का पता लगाने पर जोर देने वाला नियम है। उन्होंने आगे कहा कि इस फीचर के बिना Whatsapp किसी काम का नहीं रह जाएगा और इसकी निजता खत्म हो जाएगी।
दरसअसल एंड-टू-एंड एनक्रिप्शन होने के कारण सरकार के लिए यह पता लगाना मुश्किल होता है कि अफवाह फैलानेवाले मैसेज कहां से आ रहे हैं और इसे कौन फैला रहा है। सरकार का कहना है कि व्हाट्सऐप को ऐप के दुरुपयोग और हिंसा फैलाने से रोकने के लिए एक नियम का पालन करना ही होगा।
वहीं व्हाट्सऐप ने यह भी कहा है कि भारत में चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियां व्हाट्सऐप का दुरुपयोग कर रहीं हैं, हालांकि कंपनी ने उन पार्टियों का नाम बताने से इनकार कर दिया है। बता दें कि भारत में व्हाट्सऐप के 20 करोड़ से अधिक यूजर्स हैं।