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अगर कोई आपको झूठे SC/ST एक्ट में फंसा दे तो करें ये काम

एस सी एस टी एक्ट को लेकर पिछले कुछ महीनों से देशभर में हल्ला मचा हुआ है लेकिन इससे बहुत ज़्यादा घबराने की जरूरत नही है, लेकिन बहुत सतर्कता बरतने की जरूरत है। यदि इस अपराध में आपके खिलाफ कोई फर्जी मुकदमा या एफ आई आर दर्ज हो जाती है, तो कुछ बातों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

अगर कोई आपको झूठे SC/ST एक्ट में फंसा दे तो करें ये काम 1- सबसे पहले पुलिस को जाकर खुद सारा मामला समझाएं और जांच में सहयोग दें । 2- उच्च न्यायालय के किसी अधिवक्ता से संपर्क कर क्रिमिनल रिट (याचिका)फ़ाइल (भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत )करके गिरफ्तारी पर रोक की प्रार्थना करे जिसमे मानानीय उच्च न्यायालय गिरफ्तारी पर रोक लगा सकता है।
3- पुलिस के साथ अन्वेषण में पूरा सहयोग करे और उन्हें अपने बेकसूर होने का पूरा प्रमाण उपलब्ध करवाए । 4- यदि पुलिस आपके साक्ष्यों को स्वीकार करने से आनाकानी करता है या आपको ऐसा लगे कि पुलिस आपके मामले में लापरवाही या लीपापोती कर रही है तो आप क्रिमिनल रिट में पुनः फेयर एंड प्रॉपर इन्वेस्टीगेशन की प्रार्थना करे जिसमे मानानीय उच्च न्यायालय द्वारा इंवेस्टिगेटिंग ऑफिसर्स (जाँच अधिकारी ) को बदलकर अन्य पुलिस स्टेशन के अन्य इंवेस्टिगेटिंग ऑफिसर ( जाँच अधिकारी ) द्वारा इन्वेस्टीगेशन (जाँच )कराने का आदेश व निर्देश जारी किया जा सकता है ।

चूंकि इस अपराध में जेल जाने के बाद कम से कम 1 से 2 महीने तक जमानत मिलने के कोई आसार नही होते हैं और महज आरोप लगाने से ही व्यक्ति के गिरफ्तार होने की पूरी संभावना बन जाति है और इस एक्ट के पूर्व में अत्यधिक दुरुपयोग होने के कारण ही माननीय उच्चतम न्यायालय ने बदलाव किये थे जिसको संसद ने नही माना और वर्तमान सरकार ने उसको बदलकर वर्तमान संसोधित एक्ट को लागू किया जिसमें अग्रिम जमानत का प्रावधान नही है।

SC ST एक्ट में झूठा मुकदमा दर्ज कराना इस दम्पत्ति पर पड़ गया भारी : मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में एक दम्पत्ति को दु’ष्कर्म मामले में एससी एसटी एक्ट में झूठा मुकदमा दर्ज कराना खुद पर भारी पड़ गया। अजा-अजजा अत्याचार निवारण अधिनियम एवं दु’ष्कर्म के मामले में झूठी शिकायत दर्ज कराने पर विशेष न्यायाधीश अजा-अजजा अत्याचार निवारण अधिनियम जिला शाजापुर द्वारा दोषी पति-पत्नी को कारावास और अर्थ दंड की सजा सुनाई है।

अतिरिक्त लोक अभियोजक शैलेंद्र वर्मा ने बताया कि ग्राम बिरगोद निवासी आरोपी ललिताबाई ने अपने पति पूंजीलाल पिता भेरूलाल के साथ अजाक थाने पर 4 जुलाई 2016 को पहुंचकर झूठी एफआईआर दर्ज कराई थी कि उसके साथ 2 जुलाई को गांव के खेत में विष्णुप्रसाद पिता मानसिंह ने दु’ष्कर्म किया है, जिस पर अजाक पुलिस ने धारा 376, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। मामले में ललिताबाई ने शासन से क्षतिपूर्ति राशि भी वसूली थी। अतिरिक्त लोक अभियोजक वर्मा ने बताया कि विष्णुप्रसाद के खिलाफ महिला और उसके पति के द्वारा झूठी शिकायत दर्ज कराए जाने और झूठे साक्ष्य पेश करने के मामले में सोमवार को विशेष न्यायाधीश ने आरोपी ललिता बाई और उसके पति पूंजीलाल को सात-सात वर्ष के कारावास और 50-50 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित करने की सजा सुनाई है। वहीं अर्थ दंड की राशि अदा नही करने पर 3-3 माह का अतिरिक्त कारावास भुगताने के आदेश भी दिए हैं।

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