अद्धयात्म

अगर चाहते हैं दुखों से छुटकारा तो आजमाएं 3 जीवन मंत्र

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इस धरती पर कौनसा देश सबसे सुखी है? कुछ सालों पहले लाइफस्टाइल पर बेस्ड एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ने रिश्तों, अनावश्यक जरूरतों को कम करने, परिवार के साथ समय व्यतीत करने, स्वास्थ्य आदि को लेकर सर्वे किया था कि कौनसा देश इस दृष्टि से सुखी है।

वे समझ रहे थे कि उनकी सूची में सबसे शीर्ष पर अमरीका, जर्मनी, इंग्लैंड, जापान जैसे देशों के नाम होंगे, पर हैरानी हुई जानकर कि इस धरती पर सबसे ज्यादा सुखी देश बांग्लादेश है।

अब सवाल यह है कि सभी तरह की सुख-सुविधाओं, अनेक विकल्पों और दुनिया की श्रेष्ठ शिक्षा के बावजूद दुनिया के सबसे समृद्ध देश सुखी क्यों नहीं हैं और क्यों जीडीपी की दृष्टि से सबसे गरीब देश उनसे कहीं अधिक सुखी है?

जाहिर-सी बात है, महज आर्थिक सुविधा सुखी होने की गारंटी नहीं है। आमतौर पर हम देखते हैं कि शहरों में लोगों का जीवन अपेक्षाकृत बेहतर और व्यवस्थित है। वहां सड़कें, अस्पताल, शिक्षा, रोजगार के अवसर कहीं अधिक हैं, पर लोग बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं।

युवक तीस की उम्र में ही उच्च रक्तचाप की शिकायत कर रहे हैं। कॉरपोरेट जगत के काफी दबाव के कारण लोग विषाद में हैं और उनमें हृदय रोग के शुरुआती लक्षण विकसित हो रहे हैं। कहीं कुछ सही नहीं चल रहा।

मेरा यह कहने का मतलब नहीं है कि आधुनिकीकरण गलत है या शहरी जीवन छोड़ देना चाहिए।

मैं समाज के तकनीकी विकास का भी विरोधी नहीं हूं। हमें बतौर समाज सुखी और संतुष्ट जीवन जीने के बेहतर तरीके तलाशने हैं और साथ ही आराम से जीने के साधन भी इस्तेमाल करने हैं। औरों से स्पर्धा करने और अपने बूते से बाहर खरीदने की बजाय हमें कुछ ऐसे निर्णय लेने चाहिए, जिससे आगे जाकर हम सुखी और खुश रह सकते हैं।

तो हम किस तरह सुख-शांति वाला जीवन जी सकते हैं? यहां एक छोटी-सी एक्सरसाइज है कि लोगों को किससे खुशी मिलती है। आमतौर पर सुखी लोगों के पास तीन चीजें समान होती हैं। उनके अपने मित्रों, साझेदारों और रिश्तेदारों के साथ बहुत ही मजबूत और सकारात्मक रिश्ते होते हैं।

उनकी सेहत अच्छी होती है और उनके पास वर्तमान और भावी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त आर्थिक व्यवस्थाएं होती हैं, इसलिए इन शर्तों को सबसे पहले पूरा करने के लिए हमें उन लोगों के साथ नजदीकी बनाए रखनी है, जिन्हें हम प्यार करते हैं।

पश्चिमीकरण ने यह सिद्ध कर दिया है कि महज गैजेट्स से हम खुश नहीं रह सकते, इसलिए अपने आसपास के लोगों के साथ रिश्तों को पुन: मजबूत बनाएं, क्योंकि चीजें नहीं, बल्कि लोग हैं, जो एक-दूसरे से आदान-प्रदान करते हैं और खुशी एक-दूसरे को देने-लेने से ही मिलती है।

दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि अपनी सेहत को गौण नहीं मानें, क्योंकि कमजोर सेहत से आत्मविश्वास की कमी और जीवन में अनिश्चितता जैसी बड़ी समस्याएं जन्म लेती हैं। दिन-रात कमाने में समय व्यतीत करने और सेहत बिगाड़ने की बजाय अपने परिवार को भी वक्त देने की योजना बनाएं, क्योंकि इससे खुशी मिलती है और सेहत पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

तीसरा, आर्थिक सुरक्षा के लिए पहले से अच्छी तरह योजना बनाएं। वे चीजें नहीं खरीदें, जिनकी जरूरत नहीं है और बचत की आदत डालें। शुरू से यदि आप इस दिशा में अच्छी तरह योजना बनाएंगे तो साधारण कोशिशों से भी आप आरामदायक और सुखी जीवन जी सकते हैं।

 

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