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अगर मेट्रो चली तो इतने करोड़ के कर्ज के नीचे दब जाएगा हिमाचल

delhi-metro-55a5192a8a537_exlहिमाचल में मेट्रो चलाना कहीं सपना ही न बन जाए। नई प्रस्तावित मेट्रो लाइन से हिमाचल प्रदेश हजारों करोड़ रुपये के कर्ज में डूब जाएगा। पड़ोसी राज्यों की मेट्रो परियोजनाओं की लागत से इसका हिसाब लगाया जाए तो 15 किलोमीटर लंबी इस लाइन में लगभग 2850 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इतनी अधिक लागत में अपनी हिस्सेदारी नहीं दे पाने से हिमाचल सरकार ने इस प्रोजेक्ट से फिलहाल मुंह मोड़ लिया है। उद्योगपतियों का यह प्रस्ताव राज्य सरकार को घाटे का सौदा नजर आने लगा है।

हाल ही में कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) ने हिमाचल सरकार से आग्रह किया है कि बद्दी से चंडीगढ़ को मेट्रो से जोड़ा जाए। यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री और उद्योग मंत्री दोनों के समक्ष रखा गया है। चंडीगढ़ मेट्रो लाइन मुल्लांपुर तक प्रस्तावित है। इसकी बद्दी से दूरी लगभग 15 किलोमीटर है। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक हिमाचल सरकार ने इस संभावना पर आगे बढ़ने का विचार किया तो शुरुआती आकलन में ही पाया है कि महज 15 किलोमीटर की इस दूरी पर तकरीबन 2850 रुपये की लागत आएगी।

चंडीगढ़ मेट्रो प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए हरियाणा, पंजाब और यूटी चंडीगढ़ सरकारों के बीच नौ जुलाई 2015 को एक एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं। दिल्ली मेट्रो रेल निगम ने प्रस्तावित चंडीगढ़ मेट्रो प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 10 हजार 900 करोड़ रुपये आंकी है। इस लागत का वहन तीनों राज्यों की सरकारों के अलावा शहरी विकास मंत्रालय करेगा। मंत्रालय भी एक सीमा तक ही वित्तपोषण कर पाएगा।

बाकी खर्च संबंधित राज्यों को उठाना होगा। अगर इसमें चंडीगढ़ के मुल्लांपुर से बद्दी तक का खर्च जोड़ा जाए तो कुल लागत लगभग 13 हजार 750 करोड़ रुपये तक हो जाएगी, जिसमें हिमाचल को भी अपनी बड़ी हिस्सेदारी देनी पड़ सकती है। यह हजारों करोड़ रुपये की भी हो सकती है। इसी कारण हिमाचल सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर फिलहाल आगे नहीं बढ़ने का फैसला लिया है।

हिमाचल सरकार के योजना सलाहकार अक्षय सूद ने कहा कि इस प्रोजेक्ट की लागत का आकलन उद्योग विभाग को करने को कहा गया था। इस प्रस्तावित प्रोजेक्ट की तस्वीर अभी साफ नहीं है।

 

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