जीवनशैली

अगर शरीर में हो रहे हैं ऐसे बदलाव, तो हॉर्मोन्स में हो सकती है गड़बड़ी

पुरुषों की तुलना में महिलाओं के शरीर में हॉर्मोन्स से जुड़े बदलाव बहुत ज्यादा होते हैं। शरीर में सबसे ज्यादा जिन हॉर्मोन्स का स्तर घटता-बढ़ता रहता है वह है- ऐस्ट्रोजेन, प्रोजेस्टेरॉन और सेक्स हॉर्मोन टेस्टोस्टेरॉन। इसके अलावा मेटाबॉलिज्म हॉर्मोन थायरॉइड, एनर्जी हॉर्मोन ऐड्रनलीन, स्ट्रेस हॉर्मोन कॉर्टिसोल और स्लीप हॉर्मोन मेलाटोनिन की भी अक्सर शरीर में गड़बड़ी रहती है जिसका असर शरीर पर दिखता है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं उन 7 संकेतों के बारे में जो अगर आपके शरीर में नजर आएं तो समझ जाएं कि शरीर में हॉर्मोन्स की गड़बड़ी हो रही है और आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए…
अचानक वजन बढ़ना या घटना
अगर आपका वजन अचानक ऊपर-नीचे होने लगे यानी बहुत ज्यादा बढ़ने या फिर घटने लगे तो समझ जाइए कि आपके शरीर में हॉर्मोन से जुड़े बदलाव हो रहे हैं। शरीर में मौजूद थायरॉइड ग्लैंड मेटाबॉलिज्म से जुड़े हॉर्मोन्स को नियंत्रित करता है और इसी की वजह से वजन बढ़ता या घटता है। ऐसे में वेट गेन या वेट लॉस के साथ आपको ठंड, थकान, ड्राई स्किन और कब्ज की समस्या भी दिखे तो समझ लें कि आपका थायरॉइड ग्लैंड कम हॉर्मोन्स बना रहा है।
लगातार थकान और कमजोरी
हॉर्मोनल गड़बड़ी का सबसे बड़ा लक्षण है लगातार थकान और कमजोरी महसूस होना, खासतौर पर मेनॉपॉज और पोस्ट मेनॉपॉज के स्टेज वाली महिलाओं में। स्ट्रेस हॉर्मोन कॉर्टिसोल का लेवल शरीर में सीधे तौर पर सेरोटोनिन के सीक्रिशन को प्रभावित करता है जो एक हैपी हॉर्मोन है। लिहाजा अगर आपको थकान और कमजोरी के साथ डिप्रेशन और निराशा महसूस हो रही हो तो यह हॉर्मोनल गड़बड़ी का निश्चित संकेत है।
सोते वक्त पसीना निकलना
अगर आपको रात में सोते वक्त अचानक ऐसा महसूस हो कि आप पसीने से तर-बतर हो गए हैं तो इस स्थिति को नाइट स्वेट कहते हैं। ब्रेन में मौजूद हैपोथैलमस शरीर के तापमान को कंट्रोल करने के लिए जिम्मेदार होता है। साथ ही अगर हॉर्मोन्स की गड़बड़ी की वजह से शरीर में ऐस्ट्रोजेन का लेवल घट जाए तो ये दोनों चीजें मिलकर शरीर में ओवरहीटिंग पैदा करती हैं जिससे हॉट फ्लैश और नाइट स्वेट महसूस होता है। यह भी हॉर्मोनल गड़बड़ी का लक्षण है।
बहुत ज्यादा बाल गिरना
महिलाओं में मेनॉपॉज से पहले, प्रेग्नेंसी के वक्त और प्रेग्नेंसी के बाद बहुत ज्यादा बाल गिरते हैं। अमेरिकन हेयर लॉस असोसिएशन की मानें तो महिलाओं के शरीर में मौजूद मेल हॉर्मोन टेस्टोस्टेरॉन जब DHT हॉर्मोन के साथ परस्पर क्रिया करता है तो हेयर फॉलिकल्स पर एन्जाइम असर डालता है जिससे हेयर फॉलिकल्स को नुकसान पहुंचता है और हद से ज्यादा बाल गिरने लगते हैं।
मूड स्विंग और डिप्रेशन
सरोटोनिन और इन्डॉर्फिन शरीर में खुशियां पैदा करने वाले हॉर्मोन्स हैं। जब शरीर में इन हॉर्मोन्स का लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो हमें दर्द और तकलीफ महसूस होती है और जब इनका लेवल कम रहता है तो हमें खुशी और सकरात्मकता महसूस होती है। लेकिन जब ये हॉर्मोन्स शरीर में गड़बड़ हो जाते हैं तो हमें मूड स्विंग होने लगता है। साथ ही जब इन हॉर्मोन्स का प्रॉडक्शन कम हो जाता है तो हमें डिप्रेशन और तनाव महसूस होने लगता है।
अपच और कब्ज की समस्या
हॉर्मोन्स की गड़बड़ी का सबसे बड़ा संकेत है अपच की समस्या जिसे हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। गैस्ट्रिन, सिक्रेटिन और कोलेसाइस्टोकिनिन- ये 3 हॉर्मोन हैं जो हमारे पेट में पाए जाते हैं और खाने को पचाने में मदद करते हैं। इन 3 हॉर्मोन्स में किसी भी तरह की गड़बड़ी होने पर खाना पचने में दिक्कत होने लगती है जिस वजह से अपच, पेट फूलना, पेट के निचले हिस्से में दर्द, पेट में जलन और उल्टी जैसी समस्याएं महसून होने लगती हैं।
कामेच्छा की कमी
प्रेग्नेंसी के बाद, मेनॉपॉज से पहले मेनॉपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में हॉर्मोन्स का उत्पादन गड़बड़ हो जाता है। सेक्स हॉर्मोन टेस्टोस्टेरॉन का उत्पादन महिलाओं की ओवरी में होता है और इसका सीधा संबंध हमारी सेक्स ड्राइव यानी कामेच्छा से है। जैसे-जैसे उम्र के साथ ओवरी की परफॉर्मेंस घटने लगती है, वैसे-वैसे टेस्टोस्टेरॉन का उत्पादन भी कम होने लगता है और इसी वजह से कामेच्छा में भी कमी आने लगती है। टेस्टोस्टेरॉन की कमी की वजह से महिलाओं में जहां कामेच्छा में कमी आ जाती है वहीं पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या हो सकती है।

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