मोबाइल फोन इस्तेमाल करने की मुख्य वजह सोशल मीडिया पर पोस्ट करना, मैसेज भेजना, फोटो डालना आदि था। जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में प्रकाशित अध्ययन में सोशल मीडिया, स्ट्रीमिंग वीडियो, टेक्स्ट मैसेजिंग, संगीत और ऑनलाइन चैट रूम्स सहित डिजिटल माध्यमों के इस्तेमाल से नई पीढ़ी के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों पर ध्यान दिया गया है। यह अध्ययन अभिभावकों, स्कूलों, तकनीकी कंपनियों और शिशु रोग विशेषज्ञों के लिए आंख खोलने वाला है, जिसमें डिजिटल उपकरणों के अधिक इस्तेमाल को लेकर आगाह किया गया है।
विशेषज्ञों की मानें, तो सोशल मीडिया और स्मार्टफोन का ज्यादा उपयोग करने से हमारी एकाग्रता में कमी आती है। दिमागी संतुलन प्रभावित होता है और सोचने समझने की शक्ति और याददाश्त कमजोर होती है। एक नए अध्ययन के अनुसार, सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों द्वारा पर शेयर की गई तस्वीरों का असर युवाओं पर पड़ता है। दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के थॉमस डब्ल्यू वेलेन्टे ने बताया कि मित्रों की ऑनलाइन तस्वीरें युवाओं को शराब और सिगरेट के प्रति प्रोत्साहित कर सकती हैं।
फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल मीडिया का प्रयोग भले ही आपको दोस्तों के संपर्क में रहने के लिए अच्छा लगता हो, लेकिन इनका ज्यादा इस्तेमाल आपकी याद्दाश्त पर विपरीत असर डालता है। स्टॉकहोम के केटीएच रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं के अनुसार, दिमाग खाली समय में जानकारियों को सुरक्षित करने का काम करता है। सोशल मीडिया के इस युग में हर समय ऑनलाइन रहने, साथ ही अन्य कामों में लगे रहने के कारण दिमाग हर समय व्यस्त रहता है और उसे आराम नहीं मिल पाता। इससे दिमाग को जानकारियों को सुरक्षित रखने की प्रक्रिया पूरा करने के लिए समय नहीं मिल पाता। इसका सीधा असर याद्दाश्त पर पड़ता है।