अच्छी फिल्में बच्चों को बनाती हैं अच्छा इंसान: लक्ष्मी नारायण चौधरी
सी.एम.एस. कानपुर रोड में अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव का दूसरा दिन
बाल कलाकार दर्शील सफारी व प्रभजोत सिंह एवं वरिष्ठ कलाकार अनूप सोनी व स्मिता बंसल ने जगाया अच्छी फिल्में देखने का उत्साह
लखनऊ सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में चल रहे नौ-दिवसीय ‘अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव (आई.सी.एफ.एफ.-2017)’ में शिक्षात्मक बाल फिल्में देखने का भारी उत्साह छात्रों, शिक्षकों व अभिभावकों में दिखाई दिया और सी.एम.एस. कानपुर रोड का समस्त परिसर बड़ी संख्या में उपस्थित बच्चों एवं अभिभावकों से दिन भर खचाखच भरा रहा। इससे पहले, अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव के दूसरे दिन मुख्य अतिथि के रूप में पधारे प्रदेश के दुग्ध विकास, धर्माध कार्य व साँस्कृतिक एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने समारोह का विधिवत् उद्घाटन किया जबकि बाल कलाकार दर्शील सफारी (तारे जमीं पर) व प्रभजोत सिंह (उड़ता पंजाब) एवं वरिष्ठ कलाकार अनूप सोनी व सुश्री स्मिता बंसल अपनी उपस्थिति से बाल फिल्मोत्सव की भव्यता में चार-चाँद लगा दिये।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि लक्ष्मी नारायण चौधरी, मंत्री, उ.प्र. ने कहा कि ऑडियो-विजुअल माध्यम का बच्चों के मन-मस्तिष्क पर बहुत गहरा प्रभाव होता है। अच्छी फिल्में बच्चों को अच्छा इंसान बनाती है, ऐसे में सी.एम.एस. का यह बाल फिल्म महोत्सव बच्चों को अच्छी फिल्मों की ओर आकर्षित करने का बढ़िया जरिया है। श्री चौधरी ने आगे कहा कि हमारा भारत देश पूरी दुनिया में अपनी नैतिकता एवं आध्यात्मिकता उत्कृष्टता के लिए जाना जाता है और इस महोत्सव के माध्यम से डा. जगदीश गाँधी ने पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है। वसुधैव कुटुम्बकम हमारी विरासत है और विश्व एकता आज की जरूरत है। इस फिल्म महोत्सव के माध्यम से बच्चों को विभिन्न देशों की संस्कृति व सभ्यता से रूबरू होने का अनूठा अवसर मिल रहा है, जिसके लिए सी.एम.एस. बधाई का पात्र है।
‘अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव’ के दूसरे दिन आज विभिन्न विद्यालयों के लगभग 8,000 छात्रों ने शिक्षात्मक बाल फिल्मों का आनन्द उठाया। शैक्षिक बाल फिल्मों का आनन्द उठाने अपने बच्चों के साथ पधारे अभिभावकों ने खुले दिल से इस बात को स्वीकारा कि यह बच्चों को जीवन मूल्यों की शिक्षा देने का बड़ा ही सीधा व सरल तरीका है। इन बाल फिल्मों में सभी धर्मों की एकता, मानव मात्र की एकता, ईश्वरीय भक्ति, सच्चाई की जीत, प्रार्थना की शक्ति, आत्मविश्वास इत्यादि अनेक गुणों पर प्रकाश डाला गया है। चूँकि इन फिल्मों में कोई शुल्क नहीं है अतः सभी गरीब व अमीर बच्चें एक साथ मिल-बैठकर इन फिल्मों का आनन्द ले सकते हैं, इससे बच्चों में आपसी भाईचारा, प्रेम व एकता की भावना भी विकसित होती है। अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव के दूसरे दिन आज हजारों बच्चों ने सेवन समिट्स, रूपी रन, मींठी नींद, मैन ईटिंग प्लान्ट्स, स्पेस काऊ, चिल्ड्रेन ऑफ द वॉर, ऑवर हीरो, पिंकी का साबुन, कप ऑफ टी, द डेड पोएट, द स्टोरी ऑफ माई आईस, जस्ट द बिगनिंग, द लास्ट लीफ, ब्लड डोनेशन, ट्वाइस अपान ए टाइम, द गिविंग ट्री, अबाउट द वॉल, टेक मी आउट टू, जस्ट दिस वन, वन्स एट द आर्फनेज, लिटिल स्टोन लायन आदि अनेक उत्कृष्ट फिल्मों का आनन्द उठाया।