उत्तराखंड

अटल बिहारी के विशेष दूत को मिली उत्तराखंड की कमान!

atal-bihari-56495390a8f69_exlstउत्तराखंड सरकार ने अंतत: केंद्र सरकार की बात मान ही ली। जी, हां मुख्य सचिव के पद पर की गई राकेश शर्मा की पुनर्नियुक्ति को निरस्त करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के विशेष दूत को शत्रुघ्न सिंह को सूबे का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया है।

सरकार ने राकेश शर्मा की हैसियत को भी कम नहीं किया और उन्हें केंद्र में नृपेंद्र मिश्रा की तर्ज पर मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव केपद पर नियुक्त किया है। यह पद निसंवर्गीय है और शर्मा को एक साल के लिए इस पद पर नियुक्त किया है।

प्रधानमंत्री कार्यालय व कैबिनेट सचिवालय में काम करने का लंबा तजुर्बा रखने वाले 1983 बैच के आईएएस शत्रुघ्न सिंह राज्य के नए मुख्य सचिव होंगे। प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी ने जानकारी देते हुए बताया कि रविवार को देर शाम राज्य सरकार ने सिंह को राज्य की नौकरशाही का हैड नियुक्त किया। शत्रुघ्न का कार्यकाल दिसम्बर 2016 तक रहेगा। वह पिछले महीने ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे है।

इसके अलावा मौजूदा मुख्य सचिव राकेश शर्मा की हैसियत बरकरार रखने के लिए एक नया और प्रभावशाली निसंवर्गीय पद सृजित किया गया। सरकार ने उन्हें एक साल के लिए मुख्यमंत्री का मुख्य प्रधान सचिव बनाया है। यह फार्मूला केंद्र में लागू है।

रिटायर्ड नौकरशाह नृपेंद्र मिश्रा को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के पद पर नियुक्त किया गया है। मिश्रा केंद्र में कैबिनेट सचिव के अधीन नहीं है, इसी तर्ज पर राज्य में भी शर्मा का प्रभाव बरकरार रहेगा और वह पूर्ण रूप से मुख्यमंत्री सचिवालय केइंचार्ज रहेंगे।

 

कैबिनेट सचिवालय से लेकर प्रधानमंत्री के साथ काम करने का लंबा अनुभव रखने वाले शत्रुघ्न सिंह के सामने अपने पूर्वाधिकारी राकेश शर्मा के साथ समन्वय बनाकर आगे बढ़ने जैसी कई चुनौतियां होंगी।

कम ही लोग जानते है कि 2002 में विश्व हिन्दू परिषद के बवाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने शत्रुघ्न सिंह को यूपी सरकार और वीएचपी के नेताओं से बातचीत करने के लिए अपना विशेष दूत बनाकर अयोध्या भेजा था। हालांकि राज्य में कामकाज का भी उनका लंबा तजुर्बा है।

शत्रुघ्न सिंह का नौकरशाही में लंबा और जटिल तजुर्बा रहा है। जिसका फायदा राज्य में अफसरशाही को मिलना चाहिए। वह भी राकेश शर्मा की तरह सख्त किस्म के अफसर है। पोस्टिंग के मामले में शत्रुघ्न सिंह काफी धनी अफसरों में है।

उनके करियर की वैसे तो काफी घटनाएं हैं, लेकिन मार्च 2002 में जब विश्व हिन्दू परिषद ने अयोध्या में रमालला की मूर्ति स्थापित करने के लिए बड़ा आंदोलन किया और यूपी सरकार व वीएचपी के बीच टकराव को रोकने की नौबत आई तब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने शत्रुघ्न सिंह को बुलाया।

वाजपेई ने उन्हें अयोध्या में सभी पक्षकारों (यूपी सरकार, वीएचपी, मुस्लिम फ्रंट, विभिन्न राजनैतिक दल) से वार्ता करने के लिए अपना विशेष दूत बनाकर अयोध्या भेजा। इससे पहले शत्रुघ्न सिंह फैजाबाद के मंडलायुक्त रह चुके थे। वाजपेई ने उन पर भरोसा किया और सेना केविशेष विमान से शत्रुघ्न को अयोध्या भेजा गया।

शत्रुघ्न सिंह करीब एक सप्ताह अयोध्या रहे और मसले को शांत कराकर ही लौटे। इसलिए शत्रुघ्न के सामने प्रशासनिक दक्षता की दिक्कत नहीं आएगी। इसके अलावा सूबे की उन्हें अच्छी समझ है। क्योंकि वह मुख्यमंत्री रहते हुए बीसी खंडूड़ी के प्रमुख सचिव रह चुके है। प्रधानमंत्री से मुख्यमंत्री कार्यालय के संचालन का उन्हें लंबा अनुभव है।

इन पदों पर तैनात रहे शत्रुघ्न सिंह
यूपी में मुख्य सचिव के स्टाफ आफिसर
डीएम मुजफ्फरनगर
मंडलायुक्त फैजाबाद कमिश्नरी
सेल्स टैक्स कमिश्नर यूपी
केंद्रीय कैबिनेट सचिवालय में पांच साल तक संयुक्त सचिव
उत्तराखंड में ऊर्जा, सिंचाई, उच्च शिक्षा समेत तमाम विभागों के प्रमुख सचिव
मुख्यमंत्री रहे भुवन चंद खंडूड़ी के प्रमुख सचिव
यूपीए सरकार में प्रधानमंत्री के संयुक्त सचिव और बाद में अपर सचिव
मोदी सरकार में उद्योग के लिए पॉलिसी बनाने वाले विभाग में अपर सचिव
फैजाबाज कमिश्नर केपद से जब शत्रुघ्न सिंह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली केंद्रीय कैबिनेट सचिवालय

मैंने केंद्र के साथ हुए विवाद को समाप्त करने की पहल की। शत्रुघ्न सिंह मेरे साथ पूर्व में भी काम कर चुके है, वो एक सुलझे अधिकारी और अच्छे सहयोगी है। मैं अपनी तरफ से उन्हें पूरा सहयोग करुंगा ताकि राज्य की नौकरशाही को पर्याप्त रूप से उनकी लीडरशिप मिल सके।

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