अतीत का आर्इनाः जब पिंडारियों के हमलों से परेशान राजा ने ली अंग्रेजों की मदद
19वीं शताब्दी के दूसरे दशक के पूर्वार्द्घ के दौरान मराठों और पिंडारियों के बढ़ते हमलों से जयपुर रियासत का शासन डगमगाने लगा था और रियासत का सारा खजाना खाली हो गया था। अस्थिरता के इस माहौल के बीच महाराजा जगत सिंह को 1818 में अंग्रेजों से संधि करनी पड़ी।
तब जयपुर के शासन को संभालने के लिए अंग्रेज अधिकारी आने लगे। अंग्रेज गवर्नर जनरल के एजेंट सर डेविड ऑक्टर लॉनी के निर्देश पर कैप्टन जे. स्टुवर्ड जयपुर आए। उन्हें मांजी का बाग स्थित राजमहल (रेजीडेंसी) में रखा गया।
उन्होंने रेजीडेंसी के चारों तरफ दीवार बनवाई। वैसे 1727 में जयपुर में पहले अंग्रेज गुस्टन जॉकिन डी सिल्वा को सवाई जयसिंह ने पुर्तगाल से बुलाया था। सिल्वा के वंशज आज भी सुभाष चौक में रहते हैं। आजादी के बाद अंग्रेज अफसर जयपुर से चले गए।
उनके जयपुर में कराए उल्लेखनीय कामों को देखकर लोग आज भी दातों तले अंगुली दबाते हैं। 1843 में मेजर जान लुडलो को लोग लाडू साहब कहकर बुलाते थे। इंजीनियर मार्टिन ने अमानीशाह नाले पर बांध बनवाया।
1850 में आए कर्नल लॉने ने रामसिंह द्वितीय को शासन करने का अधिकार दिया। 1860 में सार्वजनिक निर्माण खोल कर कर्नल स्वींटन एस जैकब को मुख्य अभियंता बनाया गया। वर्तमान में जय निवास होटल परिसर उस समय नाटाणी का बाग के नाम से मशहूर था।
इस भवन में स्वींटन जैकब का निवास होने से मार्ग का नाम जैकब रोड पड़ा। जैकब की देखरेख में राम निवास बाग, जलेब चौक एवं चिड़ियाघर आदि का निर्माण हुआ। यूरेशियन जैक्सन राम निवास बाग का मुख्य बागवान था।
सवाई रामसिंह की आखें खराब होने पर इंग्लैंड से आए डॉ. मैकनमारा ने महाराजा की आखें ठीक कर गोल चश्मा लगाया। 1870 में वायसराय लॉर्ड मेयो ने सांगानेरी गेट पर मेयो अस्पताल की नींव रखी। 1875 में प्रिंस ऑफ वेल्स आए और यहां से जाने के बाद उन्होंने सम्राट एडवर्ड सप्तम का ताज पहना।
1886 में विलियम वेलंटाइन और जॉर्ज मेकालिस्टर पादरी बनकर जयपुर आए। कर्नल टी.एच. हैंडले ने सवाई रामसिंह के निर्देश पर जयपुर को सफेद से गुलाबी बनाया। हैंडले ने जयपुर के इतिहास व कला पर पुस्तकें भी लिखीं।
गाइड जयपुर, मैडिको ट्रोपो ग्राफिकल सर्वे ऑफ जयपुर, रुलर्स ऑफ इंडिया एण्ड द चीफ ऑफ राजपूताना एवं जयपुर एनेमल्स आदि पुस्तकें भी लिखीं। सेंट्रल जेल का नियंत्रण भी इनके पास रहा।
हैंडले की पत्नी को हिंदी आती थी। रामसिंह द्वितीय ने मृत्यु पूर्व लिखी वसीयत पर हैंडले के हस्ताक्षर करवाए। 1886 में अतिरिक्त गवर्नर जनरल केएम वॉल्टर के समय में गवर्नर जनरल रॉबर्ट क्रास्थवेस्ट से बाण गंगा नदी पर रामगढ़ बांध का शिलान्यास कराया गया।