ग्रेटर नोएडा में आशियाना मुहैया कराने के नाम पर 200 निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने एएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी के निदेशक की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि ऐसे लोग अपनी प्रभावशाली स्थिति के चलते अक्सर बच निकलते हैं, यदि उसे जमानत पर छोड़ा जाता है तो इससे न सिर्फ लोगों का न्याय व्यवस्था से भरोसा उठ सकता है बल्कि आरोपी सुबूतों से छेड़छाड़ कर जांच को प्रभावित कर सकता है।
तीस हजारी अदालत स्थित विशेष न्यायाधीश कामिनी लॉ ने कहा कि निवेशकों से धोखाधड़ी करने वाले बिल्डरों के साथ किसी भी तरह की नरमी नहीं बरती जाएगी। उन्होंने कहा कि जो बिल्डर अपने वर्चस्व के चलते लोगों के साथ धोखाधड़ी करके बच निकलने की सोच रखते हैं, उनके खिलाफ यह कदम उठाना जरूरी है।
तीस हजारी अदालत स्थित विशेष न्यायाधीश कामिनी लॉ ने कहा कि निवेशकों से धोखाधड़ी करने वाले बिल्डरों के साथ किसी भी तरह की नरमी नहीं बरती जाएगी। उन्होंने कहा कि जो बिल्डर अपने वर्चस्व के चलते लोगों के साथ धोखाधड़ी करके बच निकलने की सोच रखते हैं, उनके खिलाफ यह कदम उठाना जरूरी है।
अदालत ने यह कहते हुए एएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी के निदेशक रामचंद्र सोनी की जमानत याचिका खारिज कर दी कि अगर उसे जमानत दे दी जाती है तो ऐसा करने से लोगों का न्यायपालिका से भरोसा उठ सकता है।
उधर, आरोपी के वकील ने अदालत में जमानत अर्जी दाखिल करते हुए निवेशकों के साथ समझौता करने का हवाला दिया और कहा कि निवेशकों से समझौता करने के लिए कंपनी निदेशक की जमानत जरूरी है।
लेकिन अदालत ने आरोपी की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि रोटी, कपड़ा और मकान लोगों की आधारभूत जरूरत है और लोगों की इन जरूरतों को पूरा करने की बात कहकर ठगने वाला जमानत का हकदार नहीं है।