अन्तर्राष्ट्रीय

अधिकार मुद्दे पर ‘विचार’ के लिए तैयार : राजपक्षे

mahiकोलंबो (एजेंसी)। श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने गुरुवार को कहा कि तमिल टाइगरों का सफाया करने के समय मानवाधिकार से जुड़े मुद्दे पर ‘विचार’ करने के लिए वे तैयार हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक कोलंबो के मानवाधिकार से जुड़े इतिहास को लेकर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की कड़ी आलोचना का सामना कर रहे राजपक्षे ने अपने जवाब में कहा कि युद्ध के अंत से श्रीलंका को अपार लाभ हासिल हुआ है। श्रीलंका पर तमिल टाइगरों के साथ युद्ध के आखिरी समय में निर्दोष नागरिकों पर सितम ढाने और उनकी हत्या करने के आरोप हैं। शुक्रवार से शुरू होने जा रहे राष्ट्रमंडल देशों की सरकारों के प्रमुखों (चोगम) की बैठक के पूर्व अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में राजपक्षे इस बात पर अडिग रहे कि उनकी सरकार ने श्रीलंका में मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दे के समाधान के लिए पर्याप्त प्रणाली गठित कर रखी है। अंतर्राष्ट्रीय मीडिया से जुड़े एक संवाददाता द्वारा नागरिकों की हत्या के संबंध में पूछे जाने पर राजपक्षे ने जोर देकर कहा  ‘‘केवल 2००9 में ही नागरिक नहीं मारे गए  पिछले 3० वर्षों से मारे जा रहे थे। अब कोई नहीं मारा जा रहा।’’राजपक्षे ने जोर देकर कहा कि मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायतों को श्रीलंका सरकार द्वारा गठित प्रणाली का अनुसरण करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि वे आरोपों की निष्पक्ष जांच कराना चाहेंगे। श्रीलंका के मानवाधिकार पर हंगामा राष्ट्रमंडल की अध्यक्षता सौंपे जाने के साथ ही शुरू हो गया था। इस पद पर उसका कार्यकाल 2०14 के अंत तक है। कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने श्रीलंका में मानवाधिकार की स्थिति पर सबसे पहले आवाज उठाई और चोगम का बहिष्कार किया। उनके भारतीय और मारीशस समकक्षों ने भी शिखर सम्मेलन से अपनी दूरी बना ली है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा है कि चोगम में आने के बाद वे राजपक्षे के सामने जवाबदेही का मुद्दा उठाएंगे और युद्ध की विभीषिका झेल चुके उत्तरी क्षेत्र का दौरा भी करेंगे।

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