अध्यात्म और सामाजिक समागम से ही व्यापार में सुगमता सम्भव -प्रो.हिमांशु राय
एमएसएस में दो दिवसीय राष्ट्रीय कान्फ्रेन्स का आयोजन
लखनऊ : स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साइन्सेज (एसएमएस), लखनऊ में 24 व 25 फरवरी, 2018 को ‘व्यापारिक तालमेल बढ़ाने में सामाजिक, आध्यात्मिक तथा तकनीकी आयाम का महत्व’ विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय कान्फ्रेन्स का आयोजन किया गया। कान्फ्रेन्स में प्रबुद्ध वक्ताओं ने महत्वपूर्ण सुझाव व शोध-पत्र प्रस्तुत किये। राष्ट्रीय कान्फ्रेन्स के मुख्य अतिथि एस0वाई सिद्दीकी, चीफ मेन्टर, मारुति सुजुकी ने व्यापारिक तालमेल बढ़ाने में सामाजिक, आध्यात्मिक तथा तकनीकी आयाम के महत्व पर बोलते हुए कहा ‘व्यापार, अध्यात्म तथा समाज तीनों आपस में एक दूसरे से जुड़े हुए है। व्यापार जगत को अध्यात्म से जुड़ना होगा तभी किसी समाज में खुशहाली आयेगी। उन्होंने व्यापार जगत में मारुति उद्योग की सफलता पर बोलते बताया कि जापानियों की अध्यात्म के प्रति जागरूकता व व्यापार में सामन्जस्य के चलते ही मारुति उद्योग सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहा है। उन्होंने अपने अनुभव को साझा करते हुए व्यापारिक संस्थानों में ‘‘देने की भावना’’ पर बल दिया।
जाने माने मैनेजमेंट गुरु, आई.आई.एम. लखनऊ के प्रोफेसर हिमांशु राय ने काफ्रेंस में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि नवीन टेक्नोलॉजी से इन्सानी जीवन में पैदा हुई क्रान्ति से हमारा जीवन पूरी तरह से बदल चुका है। इस पहल की प्रशंसा करते हुए प्रो0 राय ने आगे बताया कि इसका दूरगामी प्रभाव आगे देखने को मिलेगा जो निश्चित ही सकारात्मक होगा। उन्होंने आगे बोलते हुए कहा कि सही व्यवसाय केवल आध्यात्म और सामाजिक संयोग से ही सम्भव है। अध्यात्मक को परिभाषित करते हुए प्रो0 राय ने कहा कि स्वयं की चेतना को जागरूक करना ही अध्यात्म है। जिस काम में लज्जा, भय और शंका न हो वही काम सही है।
संस्थान के सचिव शरद सिंह ने वक्ताओं तथा कान्फ्रेंस में शोधपत्र प्रस्तुत करने वाले विद्वानों का स्वागत करते हुए व्यापारिक तालमेल बढ़ाने में सामाजिक, आध्यात्मिक तथा तकनीकी आयाम के महत्व को उजागर करते हुए बताया कि वर्तमान परिदृष्य में यह आवश्यक है कि मनुष्य अपनी आन्तरिक शक्ति को पहचाने जिससे उसकी कार्यक्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सके। ब्रम्हकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय की बहन राधा ने कान्फ्रेन्स में उपस्थित विद्वत्जनों को सम्बोधित करते हुए बताया कि अध्यात्म ही जीवन का आधार है। यदि अध्यात्म तथा व्यापार आपस में तालमेल बिठा लें तो व्यापारिक आयाम को बढ़ाया जा सकता है। बहन राधा ने आगे बोलते हुए कहा कि सभ्य व सुसंस्कृत समाज अध्यात्म की ही देन है तथा उसी समाज में उन्नत व्यापार फल-फूल सकता है। भयमुक्त समाज में एक अच्छा व्यापारिक परिदृष्य दिखाई देता है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक इंसान के दिमाग में 40 से 50 हजार विचार प्रतिदिन उत्पन्न होते हैं। ऐसी स्थिति में किसी खास विचार पर टिके रह पाने के लिए यह जरूरी है कि हम अपने जीवन में बैलेंस को महत्व दें। विज्ञान और अध्यात्म का संतुलन ही मानव जीवन की सफलता का राज है।
विजय सिन्हा, सीनियर वाईस प्रेसिडेन्ट, जिन्दल स्टील वर्क्स ने कान्फ्रेन्स में आये विद्वतजनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें मानसिक तनाव को कम करना होगा। आज के वातावरण में हर कोई अपने आप में ही खोया हुआ दिखता है जिससे एक प्रकार की दूरी पैदा हो चुकी है इसलिए यह आवश्यक हो गया है कि हमें मानसिक रूप से एक दूसरे के पास आना होगा तभी हम सामाजिक एवं व्यापारिक दृष्टि से सम्बन्न बन सकेंगे। क्राम्पटन ग्रीवस के ग्लोबल हेड (एच.आर.) संजय सिंह ने मंच पर बोलते हुए कहा कि उपभोक्ता की व्यापारी से आशा रहती है कि उसे सही दामों के साथ-साथ उससे सही बर्ताव भी किया जाये। ऐसी स्थिति में जब तक व्यापार में सेवाभाव नहीं आता तब तक व्यापारिक आयाम में फैलाव सम्भव नहीं है।
ग्रुप हेड (एच0आर), फजलानी ग्रुप डॉ0 सी0एम0 द्विवेदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि एकता की भावना ही किसी मनुष्य को कामयाबी तक पहुंचा सकती है। किसी कार्य को करने के लिए एक अकेला मनुष्य उस कार्य को उतनी अच्छी तरह से नहीं कर सकता जितनी अच्छी तरह से एक समूह कार्य करता है। समूह की कार्यक्षमता उसकी नैतिकता पर भी निर्भर करती है इस बात को न भूलने पर भी जोर दिया डॉ0 द्विवेदी ने। राष्ट्रीय कान्फ्रेंस में आये सभी विद्वतजनों का धन्यवाद ज्ञापन देते हुए प्रो0 भरत राज सिंह ने कहा कि इस दो दिवसीय सारगर्भित चर्चा का सकारात्मक परिणाम आगे देखने को मिलेगा। देश के विभिन्न क्षेत्रों से आये विद्वानों ने कुल 165 शोधपत्र प्रस्तुत किये। यह जानकारी संस्थान के कुलसचिव टी0पी0 सिंह ने दी।