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अनचाही बेटियों को टीस से बचाने की मुहिम, 130 महिलाओं की अब नई पहचान

feserer_1457301985चंडीगढ़।तीसरी बेटी पैदा हुई तो मां-बाप ने नाम रख दिया-रामभतेरी। मतलब-हे राम बहुत हो गई। हालांकि, इसके बाद घर में न कोई बेटी आई, न बेटा। पर बेटी के प्रति मां-बाप की खीझ ने अब भारती के नाम से जानी जाने वाली 50 साल की महिला को कहीं न कहीं समाज में अलग-थलग रखा। नाम से ही पता चल जाता था कि ये अनचाही बेटी हैं।
 
कहती हैं- ‘कोई जब ‘ए भतेरी’ कहकर बुलाता तो कभी-कभी बहुत बुरा लगता। नाम बताने में भी शर्म आती थी। न चाहते हुए इतने साल ये नाम ढोया। कसूर यही कि परिवार की तीसरी बेटी थी। कुछ समय पहले मुझे एक कार्यक्रम में जाने का मौका मिला। वहां नाम पूछा तो चुप हो गईं। फिर पूछा तो कह दिया ‘रामभतेरी’। वहां एक महिला थीं सविता बेरवाल। उन्होंने मुझसे कहा कि नाम बताने में ये शर्म कब तक झेलोगी? मैंने कहा-पता नहीं। वे बोलीं-ऐसा करते हैं, आपका नाम ही बदलवा देते हैं। उस दिन मुझे पहली बार लगा कि नाम बदलने में बुराई ही क्या है। मैंने घर में सबसे बात की। किसी ने कोई आपत्ति नहीं उठाई। सो मैंने बदलवा दिया। उसके बाद मुझे पहले जैसी निगेटिव फीलिंग नहीं आई। या यूं कहें कि कम हो गईं। अब मुझे भारती नाम बताने में गर्व होने लगा है।’
दरअसल, ये कार्यक्रम अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति ने आयोजित किया था। समिति से जुड़ीं सविता बेरवाल का कहना है कि इस घटना के बाद हमनें भारती जैसी महिलाअों को तलाशना शुरू किया। उन्हें नाम बदलवाने के लिए कहा। पिछले कुछ महीनों में 130 महिलाएं नाम बदल चुकी हैं। हमने लोगों को भी समझाया कि ऐसे नाम से लड़की की मनोदशा पर गहरा असर पड़ता है। उदाहरण भी सामने रखे कि ऐसे नाम रखने के बाद भी बेटी हुई। कुछ लोग समझे तो कुछ नहीं भी। वैसे, पांचवीं क्लास तक नाम आसानी से बदल सकते हैं। लेकिन, बाद में दिक्कत तब आती है जब महिला उम्रदराज या ज्यादा पढ़ी-लिखी हो। ऐसे मामलों में कोर्ट में जाना पड़ता है, जो लंबी प्रक्रिया है।

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