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अनिल कुंबले ने कहा- गेंदबाजों को लीडर की तरह सोचना होगा

anil-kumble-bowling_650x400_81467201587टीम इंडिया के महान लेग स्पिनर रहे अनिल कुंबले को एक साल के लिए कोच बनाया गया है और वह टीम इंडिया की चुनौतियों से अच्छी तरह वाकिफ नजर आते हैं। विदेशी धरती पर हमारे टेस्ट नहीं जीत पाने के पीछे ज्यादातर गेंदबाजों खासतौर से तेज गेंदबाजों की नाकामी जिम्मेदार रही है। नए कोच कुंबले को यह अच्छी तरह पता है कि टेस्ट मैच गेंदबाज़ ही जिताते हैं, इसलिए जंबो गेंदबाजों को जुझारू बनाने का इरादा रखते हैं।

गेंदबाजों को बदलनी होगी सोच
फर्स्ट क्लास और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कुल मिलाकर 2000 से ज़्यादा (टेस्ट+वनडे में 956 और फ़र्स्ट क्लास में 1136) विकेट हासिल कर चुके कुंबले अपनी गेंदबाजी यूनिट पर खासतौर पर काम करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा, “मैं खिलाड़ी था तो हमेशा सोचता था कि मैं अपनी गेंदबाजी का कप्तान हूं। यही भावना मैं अपने गेंदबाजी ग्रुप में डालना चाहता हूं कि वह एक लीडर की तरह सोचें, क्योंकि वो एक लीडर ही हैं। इसके लिए मैं हर ज़रूरी चीज़ करूंगा।”

टीम इंडिया बेंगलुरू में 5 दिनों के अभ्यास के बाद 45 साल के अपने इस नए कोच के साथ पहली बार विंडीज़ दौरे पर रवाना होगी। करीब डेढ़ दशक पहले एंटिगा टेस्ट में टूटे जबड़े की उनकी तस्वीर ने उनकी छवि दुनियाभर में अलग ही बना दी थी। विंडीज़ दौरे पर टीम के लक्ष्य को लेकर कुंबले के मन में कोई संदेह नहीं है।

पिछली बार की तरह हराएंगे
वह कहते हैं, “पिछले दौरे पर हमारी टीम ने तीन में से एक टेस्ट में जीत हासिल कर सीरीज़ अपने नाम कर किया था। हम इस बार भी जीत के इरादे के साथ जाएंगे।”

कुंबले को टीम की ताकत और जरूरतों का भी अंदाज़ा है, इसलिए वह खिलाड़ियों और खुद अपने रोल को लेकर रणनीतियों में उलझे नहीं नजर आते। फिलहाल उनकी नजर पहली सीरीज में धाक जमाने पर है।

कुंबले ने कहा, “मैं कप्तान बना था तब भी नहीं सोचा था कि कितने वक्त के लिए बन रहा हूं। उसी तरह कोच बन रहा हूं तब भी एक साल, दो साल या तीन साल के बारे में नहीं सोच रहा। मैं पूरे सफर के बारे में सोच रहा हूं। इस सफर का हिस्सा बनना अपनी खुशकिस्मती मानता हूं।”

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