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अनिल माधव दवे पंचतत्व में विलीन, अंतिम विदाई देने सीएम समेत कई नेता पहुंचे
भोपाल/होशंगाबाद. केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे का शुक्रवार को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में नर्मदा और तवा नदी के संगम बांद्राभान में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। गुरुवार को दिल का दौरा पड़ने से 61 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था। वे काफी वक्त से बीमार चल रहे थे। दिल्ली के एम्स में उन्होंने अंतिम सांस ली। सीएम समेत कई नेता पहुंचे…
– दवे का अंतिम संस्कार में शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी के स्टेट प्रेसिडेंट नंदकुमार सिंह चौहान समेत केंद्रीय मंत्री उमा भारती, नरेंद्र सिंह तोमर, डॉ. हर्षवर्धन, अनंत कुमार, कैलाश विजयवर्गीय, नरोत्तम मिश्रा, भैयाजी जोशी, रामलाल, गोपाल भार्गव, जयभान सिंह पवैया, लालसिंह आर्य, गौरीशंकर शेजवार, प्रहलाद पटेल और संजय जोशी समेत बड़ी तादाद में भाजपा नेता मौजूद थे।
– मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद दवे को जुलाई 2016 को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री बनाया गया था।
– वो पर्यावरण को बचाने के कई अभियानों से अरसे से जुड़े थे। उन्होंने तीन किताबें-‘शिवाजी व सुराज’, ‘सर्जन से विसर्जन तक’ और ‘उत्तम मानव निर्माण के हिंदू संस्कार’ लिखीं।
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5 साल पहले लिखी थी वसीयत
– दवे ने निधन से 5 साल पहले 23 जुलाई 2012 को ही अपनी वसीयत लिख दी थी।
– इसमें उन्होंने अपना अंतिम संस्कार होशंगाबाद जिले के बांद्राभान में नर्मदा नदी के तट पर करने की मंशा जाहिर की थी।
– वे यह भी चाहते थे कि उनकी याद में पौधे लगाए जाएं और पानी को बचाने के लिए काम किया जाए।
– उन्होंने लिखा था, “मेरी स्मृति में कोई स्मारक, प्रतियोगिता, पुरस्कार और प्रतिमा स्थापन न हों। मेरी स्मृति में अगर कोई कुछ करना चाहता है तो वो वृक्षों को लगाए और उन्हें संरक्षित करके बड़ा करे तो मुझे बड़ा आनंद होगा। वैसे ही नदियों एवं जलाशयों के संरक्षण में भी अधिकतम प्रयत्न किए जा सकते हैं।”
– दवे ने निधन से 5 साल पहले 23 जुलाई 2012 को ही अपनी वसीयत लिख दी थी।
– इसमें उन्होंने अपना अंतिम संस्कार होशंगाबाद जिले के बांद्राभान में नर्मदा नदी के तट पर करने की मंशा जाहिर की थी।
– वे यह भी चाहते थे कि उनकी याद में पौधे लगाए जाएं और पानी को बचाने के लिए काम किया जाए।
– उन्होंने लिखा था, “मेरी स्मृति में कोई स्मारक, प्रतियोगिता, पुरस्कार और प्रतिमा स्थापन न हों। मेरी स्मृति में अगर कोई कुछ करना चाहता है तो वो वृक्षों को लगाए और उन्हें संरक्षित करके बड़ा करे तो मुझे बड़ा आनंद होगा। वैसे ही नदियों एवं जलाशयों के संरक्षण में भी अधिकतम प्रयत्न किए जा सकते हैं।”
‘मेरा नाम कहीं न आए’
– दवे ने अपनी वसीयत में लिखा कि पौधे लगाने और नदियों-जलाशयों को बचाने के काम में उनके नाम के इस्तेमाल से बचा जाए।
– दवे ने क्लाइमेट चेंज पर पेरिस समझौते को अप्रूव करने में भारत की ओर से अहम किरदार निभाया था।
– पीएम की पर्यावरण से जुड़ी स्कीम्स में वे खास स्टैटजिस्ट और एडवाइजर थे।
– एक साल से भी कम वक्त के अपने टैन्योर में उन्होंने क्लाइमेट चेंज पर हुईं कई इंटरनेशनल समिट में भारत की अगुआई की थी।
– दवे ने अपनी वसीयत में लिखा कि पौधे लगाने और नदियों-जलाशयों को बचाने के काम में उनके नाम के इस्तेमाल से बचा जाए।
– दवे ने क्लाइमेट चेंज पर पेरिस समझौते को अप्रूव करने में भारत की ओर से अहम किरदार निभाया था।
– पीएम की पर्यावरण से जुड़ी स्कीम्स में वे खास स्टैटजिस्ट और एडवाइजर थे।
– एक साल से भी कम वक्त के अपने टैन्योर में उन्होंने क्लाइमेट चेंज पर हुईं कई इंटरनेशनल समिट में भारत की अगुआई की थी।
हर 2 साल में मनेगा नदी महोत्सव
– दवे के अंतिम संस्कार के मौके पर शिवराज सिंह ने हर दो साल में नदी महोत्सव मनाने का एलान किया है।
– उन्होंने कहा, “नर्मदा समग्र के प्रेरणास्रोत और अंतरराष्ट्रीय नदी महोत्सव के जननायक अनिल माधव दवे की पहल ‘नदी महोत्सव’ हर दो साल में बांद्राभान में किया जाएगा। नर्मदा के किनारे 2 जुलाई को 5 करोड़ पौधे लगाए जाएंगे।”