नई दिल्ली : प्रशांत भूषण ने आम आदमी पार्टी को अलविदा कर दिया है। उन्होंने अरविंद केजरीवाल को एक खुला खत लिखा है और खुद पर लगे तमाम आरोपों का जवाब दिया है। प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को पहले तो पीएसी से बाहर निकाला गया और उसके बाद राष्ट्रीय परिषद से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया। ऐसा माना जा रहा है कि प्रशांत और योगेंद्र साथ मिलकर नई पार्टी बना सकते हैं। अपनी चिट्ठी में उन्होंने उन सभी आरोपों का जवाब दिया है, जो केजरीवाल ने 28 मार्च को पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में दिए गए अपने भाषण के दौरान उन पर लगाए थे। उन्होंने अरविंद को चिट्ठी में ‘गुडबाय एंड गुड लक’ कहा है जिससे माना जा रहा है उन्होंने आम आदमी पार्टी से अपना रिश्ता खत्म कर लिया है। प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने साथ मिलकर 2012 में आम आदमी पार्टी को स्थापित करने में केजरीवाल की मदद की। पिछले वर्ष जब दिल्ली विधानसभा चुनाव अपने चरम पर था, प्रशांत भूषण के पिता और आप के संस्थापक सदस्य शांति भूषण ने पार्टी का प्रमुख चेहरा बन चुके केजरीवाल के खिलाफ बयानबाजी की।
शांति भूषण ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में उनके दो पसंदीदा व्यक्तियों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रत्याशी किरण बेदी और कांग्रेस प्रत्याशी अजय माकन होंगे, जबकि केजरीवाल उनकी प्राथमिकता में तीसरे नंबर पर हैं। हालांकि दिल्ली के मतदाताओं ने उनकी पसंद पर मुहर नहीं लगाई। एक हकीकत यह भी है कि जब दिल्ली में जोड़-तोड़ का खेल चल रहा था तब प्रशांत भूषण संदेहास्पद तरीके से पूरे परिदृश्य से गायब रहे। यहां तक कि पत्रकारों को भी समझ नहीं आ रहा था कि वह आप के साथ हैं या नहीं। दिल्ली विधानसभा चुनाव के उन बेहद चुनौतीपूर्ण दिनों में चुप्पी साध रखे प्रशांत आप को मिली भारी जीत के साथ केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद पर आसीन होते ही अचानक बेहद सक्रिय हो उठे। योगेंद्र के साथ प्रशांत ने अचानक आंतरिक लोकतंत्र की कमी का हवाला देते हुए आप की निंदा करनी शुरू कर दी। इसके लिए जब केजरीवाल समर्थकों ने उनकी खिलाफत शुरू की तो वह और उग्र होते गए।