अपने फेफड़ों से प्रदूषण को कैसे करें साफ: जानिए ये प्राकृतिक उपाय…
वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। विशेषज्ञों की मानें तो वायु प्रदूषण श्वसन प्रणाली के रोग- अस्थमा, फेफड़ों का कैंसर, क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पॉल्मोनरी रोग- सीओपीडी आदि रोगों से जुड़ा है। ऐसे में फेफड़े के स्वास्थ्य की देखभाल करना महत्वपूर्ण है।
डॉक्टर नवनीत सूद, पल्मोनरी कंसल्टेंट, धर्मशिला नारायण सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के अनुसार, “इस वर्ष दिवाली के अगले दिन निश्चित रूप से पिछले वर्षों की तुलना में कम मामले देखे गए है। सामान्य ओपीडी की तुलना में वे 25 फीसदी अधिक जरुर है, लेकिन उतने नहीं, जितने अधिकतर दिवाली के ठीक अगले दिन देखने को मिलते हैं। हमने प्रतिदिन तकरीबन 15 से 16 मामले देखे हैं। इनमे से तीन चौथाई अस्थमा के गंभीर मामले और सीओपीडी से सम्बंधित थे। बाकी एक चौथाई ब्रोंकाईटिस के थे। लम्बे समय से हो रही आंखों में जलन या लालिमा, सांस लेने में तकलीफ, सरदर्द ठीक नहीं होना आदि जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
दिल्ली में दिवाली के बाद वातावरण में आने वाला ज़हरीला धुआ बहुत सी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं लेकर आता है, खासतौर पर बच्चों में। अस्पताल में हम आंखों में जलन और शवसन संबंधी समस्याओं को लेकर आने वाले मरीजों में बढ़ोत्तरी देख रहे हैं। ओपीडी में आने वाले लोगों में भी तकरीबन 20 से 22 फीसदी इजाफा देखा गया है जहां वे प्रदूषण की वजह से आंख और गले में जलन, शुष्क त्वचा, त्वचा में एलर्जी, क्रोनिक कफ और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याओं के साथ परामर्श लेने आ रहे हैं। हम खासतौर पर अस्थमा के मरीजों, बच्चों और बुजुर्गों को हिदायत देते हैं कि वे ज्यादा से ज्यादा घर में रहने की कोशिश करें।
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फेफड़ों की देखभाल कैसे करें?
फेफड़ों की देखभाल आप एक्सरसाइज, सही खानपान और उसकी सफाई करके कर सकते हैं। बढ़ते वायु प्रदूषण में फेफड़ों की सफाई सबसे जरूरी हिस्सा है। फेफड़े साफ करने की तकनीक उन लोगों को लाभ पहुंचा सकती है जो धूम्रपान करते हैं, जो लोग वायु प्रदूषण के नियमित संपर्क में रहते हैं, और ऐसे लोग जो जीर्ण स्थिति वाले होते हैं जो श्वसन प्रणाली को प्रभावित करते हैं, जैसे अस्थमा, सीओपीडी और सिस्टिक फाइब्रोसिस।
वायु प्रदूषण, सिगरेट के धुएं और अन्य विषाक्त पदार्थों में सांस लेने से फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है। इसके अलावा भी कई अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। शरीर के बाकी हिस्सों को स्वस्थ रखने के लिए फेफड़ों का स्वास्थ्य बनाए रखना आवश्यक है।
स्टीम थेरेपी
स्टीम थेरेपी, वायुमार्ग को खोलने और फेफड़ों के बलगम को निकालने में मदद करने के का काम करता है। यह प्रक्रिया जल वाष्प के माध्यम से की जाती है। फेफड़ों के रोग वाले ठंड या शुष्क हवा में बिगड़ते हुए अपने लक्षणों को देख सकते हैं। यह जलवायु वायुमार्ग में श्लेष्म झिल्ली को ड्राई कर सकती है और रक्त प्रवाह को प्रतिबंधित कर सकती है।
इसके विपरीत, भाप हवा में गर्मी और नमी जोड़ती है, जो सांस लेने में सुधार कर सकती है और वायुमार्ग और फेफड़ों के अंदर बलगम को ढीला करने में मदद करती है। जल वाष्प सांस लेने में राहत प्रदान कर सकता है और फेफड़ों की गंदगी को साफ करता है। (घर के अंदर भी खतरनाक हो सकती है जहरीली हवा, जानें इससे बचाव में कितना मददगार है एयर प्यूरीफायर)
एक्सरसाइज
नियमित व्यायाम लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है, और यह स्ट्रोक और हृदय रोग सहित कई स्वास्थ्य स्थितियों के जोखिम को कम करता है। व्यायाम मांसपेशियों को अधिक मेहनत करने के लिए मजबूर करता है, जिससे शरीर की सांस लेने की दर बढ़ जाती है, जिससे मांसपेशियों को ऑक्सीजन की अधिक आपूर्ति होती है। यह परिसंचरण में सुधार भी करता है, जिससे शरीर को अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने में अधिक कुशल बनाया जाता है जो व्यायाम करते समय शरीर उत्पन्न करता है।
हालांकि, क्रॉनिक लंग डिजीज वाले लोगों के लिए व्यायाम करना अधिक कठिन हो सकता है, लेकिन ये उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इसे करने से पहले एक बार एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
एंटी-इंफ्लामेट्री फूड
वायुमार्ग की सूजन सांस लेने में कठिनाई पैदा कर सकती है और छाती को भारी कर सकती है। एंटी-इंफ्लामेट्री फूड लेने से इन लक्षणों को दूर कर सूजन को कम किया जा सकता है।
सूजन से लड़ने में मदद करने वाले खाद्य पदार्थों में शामिल हैं:
हल्दी
पत्तेदार साग
चेरी
ब्लू बैरीज़
जैतून
अखरोट
फलियां
मसूर की दाल