लखनऊ : सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने बीएसपी के साथ आधी-आधी सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ने के अपने बेटे अखिलेश यादव के फैसले पर गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने गुरुवार को अखिलेश पर तीखा हमला बोला और कहा कि गठबंधन को लेकर मैं बात करता तो समझ में आता लेकिन अब लोग कह रहे हैं कि लड़का बात करके चला गया। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी को उसी के लोग ख़त्म कर रहे हैं। मुलायम सिंह यादव ने कार्यकर्ताओं से साफ किया कि यूपी में एसपी की लड़ाई सीधे बीजेपी से है, लड़ाई में तीसरा कोई दल नहीं है। उन्होंने कहा, अखिलेश ने अब बीएसपी से गठबंधन कर लिया है और सुनने में आ रहा है कि सीटें आधी रह गई हैं। आधी सीट होने से हमारे अपने लोग तो खत्म हो गए। कोई मुझे बताए कि सीटें आधी किस आधार पर रह गई। उन्होंने कहा, गठबंधन को लेकर मैं बात करता तो समझ में आता लेकिन अब लोग कह रहे है कि लड़का बात करके चला गया। बीएसपी के साथ गठबंधन करने और आधी सीटों पर सहमति देने पर मुलायम सिंह ने अखिलेश यादव को जिम्मेदार ठहराया। मुलायम सिंह ने कहा कि एसपी को अपनी ही पार्टी के लोग खत्म कर रहे हैं। अकेले अपने दम पर पार्टी ने तीन बार सरकार बनाई है लेकिन यहां तो लड़ने से पहले ही आधी सीटें दे दी गई हैं। हम राजनीति नहीं कर रहे हैं लेकिन हम सही बात रख रहे हैं। गौरतलब है कि कभी एक दूसरे की साथी रहीं समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने करीब 25 साल बाद एक बार फिर साथ आने का ऐतिहासिक ऐलान किया है। पिछले दिनों एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीएसपी मुखिया मायावती ने इसका ऐलान किया था। यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 38-38 पर एसपी-बीएसपी चुनाव लड़ेंगी। इस गठबंधन से कांग्रेस को बाहर रखा गया है लेकिन गांधी परिवार के परंपरागत गढ़ अमेठी और रायबरेली में गठबंधन उम्मीदवार नहीं उतारेगा। मायावती ने कहा कि बाकी 2 सीटें अन्य दलों के लिए रखा गया है। बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि जिस तरह 1993 में हमने साथ मिलकर बीजेपी को हराया था, वैसे ही इस बार उसे हराएंगे। बीएसपी सुप्रीमो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कम से कम 2 बार काफी जोर देकर 1995 के गेस्ट हाउस कांड का जिक्र किया था। मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी ने जनहित के लिए उसे भूलकर एसपी के साथ गठबंधन का फैसला किया है। मायावती ने कहा, ‘लोहियाजी के रास्ते पर चल रही समाजवादी पार्टी के साथ 1993 में मान्यवर कांशीराम और मुलायम सिंह यादव द्वारा गठबंधन करके चुनाव लड़ा गया था। हवा का रुख बदलते हुए बीजेपी जैसी घोर सांप्रदायिक और जातिवादी पार्टी को हराकर सरकार बनी थी।