अपने ही घर में दरक गई गुलाबी गैंग की जमीन!
जालौन। महिला मुद्दों के मामलों में देश व विदेश में हनक कायम कर चुके ‘गुलाबी गैंग’ की जमीन अपने ही घर बुंदेलखंड में दरक गई है और अब संपत की हमसफर रही महिलाओं ने अलग संगठन बना लिए हैं। करीब छह साल पूर्व कम पढ़ी-लिखी महिला संपतपाल की अगुआई में कुछ सामाजिक कार्यकताओं ने ‘गुलाबी गैंग’ नाम से जिस महिला जनसंगठन की नींव रखी थी वह बांदा जिले में एक दरोगा को थाने में ही बंधक बनाकर देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी हनक कायम कर चुका है लेकिन शोहरत मिलने के साथ संगठन की मुखिया संपतपाल की कार्यप्रणाली बदली और गुलाबी गैंग एक नहीं चार धड़ों में बंट गया।
सबसे पहले कौशांबी जिले की चुन्नी मिश्रा अलग होकर ‘गुलाबी सेवा संस्थान’ बनाया फिर कानपुर की तेज तर्रार कमांडर आशा निगम ने ‘गुलाबी संगठन’ और अब जालौन जिले में अंजू शर्मा ने ‘गुलाबी गिरोह’ बनाकर संपत के सामने चुनौती खड़ी कर दी है। इन सभी महिलाओं ने संपत पर दुराभाव और महिला मुद्दों से भटकने का आरोप लगाया है। इलाहाबाद की सीमा से लगे कौशांबी जिले की चुन्नी मिश्रा का कहना है कि पिछला विधानसभा चुनाव संपतपाल मऊ-मानिकर (चित्रकूट जिला) सीट से कांग्रेस के टिकट पर लड़ा वहां प्रचार भी करने गई लेकिन संपत के दुराभाव से आजिज होकर ‘गुलाबी सेवा संस्थान’ का गठन करना पड़ा।’ कानपुर की आशा निगम कहती हैं कि संपतपाल अब खुलकर कांग्रेस के लिए काम कर रही हैं उन्हें बांदा में ही हो रहीं घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाने की फुरसत नहीं है तो वह अन्य जिलों में महिलओं को कैसे न्याय दिलाएंगी? वह बताती हैं है कि कानपुर व उसके आस-पास करीब पांच हजार महिलाओं को गुलाबी गैंग से जोड़ने का काम किया था किन्तु संपत ने कांग्रेस के लिए काम करने का दबाव बनाया लिहाजा अलग होकर ‘गुलाबी संगठन’ बनाना पड़ा है।
इसी प्रकार जालौन जिले की अंजू शर्मा भी हाल ही में गुलाबी गैंग को अलविदा कह ‘गुलाबी गिरोह’ नामक अलग महिला संगठन बनाया है अंजू शर्मा का आरोप है कि अब संपत महिला हिंसा के मुद्दों पर दिलचस्पी नहीं ले रहीं वह अपना पूरा वक्त कांग्रेसी राजनीति में गुजारती हैं। उनका कहना है कि सामाजिक कार्य और राजनीति एक साथ संभव नहीं है इसलिए ‘गुलाबी गिरोह’ बनाकर महिलाओं की लड़ाई लड़ी जा रही है।
गुलाबी गैंग के राष्ट्रीय संयोजक जयप्रकाश शिवहरे (बाबू जी) स्वीकारते हैं कि संपत के कांग्रेसीकरण से गुलाबी गैंग को भारी क्षति हुई है और अपने ही घर में कमजोर हुआ है। वह यहां तक कहते हैं कि कई बार समझाने के बाद भी संपत कांग्रेसी विचारधारा से उबर नहीं पाई परिणामस्वरूप महिलाओं की मजबूत टीम चार धड़ों में बंट गई है। इन सबके बावजूद संपतपाल बेफ्रिक हैं, वह कहती हैं कि कुछ महिलाओं ने ‘संपतपाल’ बनने की ललक में अलग संगठन बना लिए हैं जिनका असर गुलाबी गैंग पर नहीं पड़ सकता।
कुल मिलाकर संपतपाल भले ही न स्वीकारें पर तल्ख सच्चाई यह है कि अपने ही घर बुदेलखंड में गुलाबी गैंग की जमीन दरक गई है और अब इसकी भरपाई कर पाना संपत के लिए बड़ा मुश्किल होगा।