अफगानिस्तान में अब तालिबान की सरकार, अली अहमद जलाली अंतरिम राष्ट्र प्रमुख नियुक्त
तालिबान: अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है. अली अहमद जलाली को अशरफ गनी की जगह अंतरिम राष्ट्र प्रमुख नियुक्त किया गया है. सरकार ने बगराम वायुसेना अड्डा तालिबान को सौंप दी है. घबराये सरकारी कर्मचारी दफ्तर छोड़कर भाग निकले हैं. राष्ट्रपति भवन में तालिबान के वार्ताकार मौजूद हैं और सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया चल रही है. इसके साथ ही अफगानिस्तान में तालिबान का शासन शुरू हो गया है.
चरमपंथियों की देश पर मजबूत होती पकड़ के बीच, घबराये सरकारी कर्मचारी दफ्तरों को छोड़कर भाग निकले. इसी दौरान अमेरिकी दूतावास पर हेलीकॉप्टर आ गये हैं. अफगानिस्तान के तीन अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि तालिबान ने राजधानी काबुल के बाहरी इलाकों में रविवार को प्रवेश कर लिया है. अधिकारियों ने बताया कि तालिबान के लड़ाके कलाकान, काराबाग और पघमान जिलों में मौजूद हैं.
चरमपंथियों ने इससे पहले जलालाबाद पर कब्जा किया था. काबुल में गोलीबारी की रुक-रुककर आ रही आवाज के बीच तालिबान ने काबुल को ‘जबरदस्ती’ अपने कब्जे में नहीं लेने का संकल्प लिया. तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि वो शांतिपूर्ण हस्तांतरण का इंतजार कर रहे हैं. तालिबान ने कहा, ‘किसी की भी जान, संपत्ति, सम्मान को नुकसान नहीं पहुंचाया जायेगा और काबुल के नागरिकों की जिंदगी पर खतरा नहीं होगा.’
राजधानी काबुल के बाहरी इलाकों में प्रवेश से पूर्व रविवार सुबह चरमपंथी संगठन ने जलालाबाद पर कब्जा कर लिया था. इसके कुछ घंटे बाद रविवार को अमेरिका के बोइंग सीएच-47 हेलीकॉप्टर यहां अमेरिकी दूतावास पर उतरे. काबुल के अलावा जलालाबाद ही ऐसा इकलौता प्रमुख शहर था, जो तालिबान के कब्जे से बचा हुआ था. यह पाकिस्तान से लगती एक प्रमुख सीमा के निकट स्थित है.
अब अफगानिस्तान की केंद्रीय सरकार के अधिकार में देश की 34 प्रांतीय राजधानियों में से काबुल के अलावा छह अन्य प्रांतीय राजधानी ही बची हैं. अमेरिकी दूतावास के निकट राजनयिकों के बख्तरबंद एसयूवी वाहन निकलते दिखे और इनके साथ ही विमानों की लगातार आवाजाही भी देखी गयी. हालांकि, अमेरिका सरकार ने अभी इस बारे में तत्काल कोई जानकारी नहीं दी है. दूतावास की छत के निकट धुआं उठता देखा गया, जिसकी वजह अमेरिका के दो सैन्य अधिकारियों के मुताबिक राजनयिकों द्वारा संवेदनशील दस्तावेजों को जलाना है.
अमेरिकी दूतावास के निकट सिकोरस्की यूएस-60 ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर भी उतरे. इन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल आमतौर पर सशस्त्र सैनिकों को लाने-ले जाने के लिए किया जाता है. चेक गणराज्य ने भी अपने दूतावास से अफगान कर्मियों को निकालने की योजना को मंजूरी दे दी है. इससे पहले उसने अपने राजनयिकों को काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा पहुंचा दिया.
एक ओर अमेरिका अपने दूतावासकर्मियों को निकालने के प्रयासों को तेज कर रहा है, वहीं दूसरी ओर हजारों आम लोग काबुल में उद्यानों और खुले स्थानों में शरण लिये हुए हैं. काबुल में रविवार को शांति रही, लेकिन कई एटीएम से नगदी निकासी बंद हो गयी, निजी बैंकों के बाहर सैकड़ों की तादाद में जमा लोग अपनी जीवनभर की पूंजी को निकालने की आस लगाये एकत्रित हुए.
तालिबान ने रविवार सुबह कुछ तस्वीरें ऑनलाइन जारी कीं, जिनमें उसके लोगों को नांगरहार प्रांत की राजधानी जलालाबाद में गवर्नर के दफ्तर में देखा जा सकता है. प्रांत के सांसद अबरारुल्ला मुराद ने पत्रकारों को बताया कि चरमपंथियों ने जलालाबाद पर कब्जा कर लिया है. तालिबान ने पिछले सप्ताह में अफगानिस्तान के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद अफगानिस्तान की केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ गया है.
अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा ने वहां मौजूद अपने राजनयिक स्टाफ की मदद के लिए सैनिकों को भेजा है. अफगानिस्तान के एक सांसद और तालिबान ने कहा कि चरमपंथियों ने काबुल से महज कुछ दूर पश्चिम में स्थित एक प्रांतीय राजधानी पर कब्जा कर लिया है. अफगानिस्तान के चौथे सबसे बड़े शहर मजार-ए-शरीफ पर शनिवार को चौतरफा हमलों के बाद तालिबान का कब्जा हो गया था. इसके साथ ही पूरे उत्तरी अफगानिस्तान पर चरमपंथियों का कब्जा हो गया. दो क्षेत्रीय सैन्य प्रमुख अत्ता मोहम्मद नूर और अब्दुल राशिद दोस्तम शनिवार को उज्बेकिस्तान भाग गये.
नूर ने ट्विटर पर लिखा कि उत्तरी क्षेत्र का तालिबान पर कब्जा होना एक साजिश है. देश की चुनिंदा महिला डिस्ट्रिक्ट गवर्नर में से एक सलीमा माजरी ने मजार-ए-शरीफ पर तालिबान का कब्जा होने से पहले वहां से शनिवार को कहा था, ‘महिलाओं के लिए कोई जगह नहीं बचेगी. प्रांतों पर तालिबान का कब्जा होने से वहां, शहरों में कोई महिला नहीं बचेगी. उनको उनके घरों के भीतर कैद कर दिया जायेगा.’