अफगानिस्तान में पत्रकारों को पीटा, प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग
काबुल: अफगानिस्तान से तालिबान ने सत्ता अपने हाथ में ले ली है। अमेरिकी सेना की वापसी और रविवार को राष्ट्रपति राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर भाग जाने के बाद तालिबान ने काबुल में एंट्री की है। राजधानी काबुल मपर कब्जे के बाद तालिबान लीडर की ओर से कहा गया है कि वो औरतों को भी काम करने देंगे और प्रेस की आजादी भी बनाकर रखेंगे।
हालांकि उनके दावों के उलट कई जगहों पर पत्रकारों पर हमले हुए हैं तो प्रदर्शनकारियों पर गोली तक चलाई गई हैं। तालिबान लड़ाकों ने राजधानी काबुल और नंगरहार प्रांत के जलालाबाद शहर में पत्रकारों पर हमला करने की खबरें सामने आई हैं। सीएनएन ने अपनी एक वीडियो रिपोर्ट में दिखाया है कि एक महिला पत्रकार और उसका कैमरापर्सन काबुल में जब स्थानीय लोगों से बात कर रहे थे, तो तालिबान लड़ाकों ने मारपीट की। वहीं बुधवार को ही जलालाबाद में भी स्थानीय पत्रकारों को तालिबान ने निशाना बनाया। ये लोग यहां तालिबान विरोधी प्रदर्शन को कवर कर रहे थे।
जलालाबाद में प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग
जलालाबाद में बुधवार को तालिबान के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन भी हुआ है। यहां प्रदर्शनकारियों ने तालिबान की जगह अफगानिस्तान के राष्ट्रीय झंडे फहरा दिया। जिसके बाद तालिबानियों ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग कर दी। इस फायरिंगह में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई और 12 अन्य घायल हो गए। कई जगहों से ऐसी भी खबरें हैं कि तालिबान लड़ाकों ने औरतों को भी ठीक के नकाब पहनने को लेकर उनसे बदसलूकी की।
तालिबान ने क्या कहा था
तालिबान ने काबुल पर कब्जे के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और इसमें ये संकेत देने की कोशिश थी कि उसका रवैया अब ऐसा नहीं रहेगा जैसा 1996-2001 के उसके शासन में था। तालिबान प्रवक्ता ने कहा कि अपने सांस्कृतिक ढांचे के भीतर हम मीडिया के प्रति प्रतिबद्ध हैं। मीडिया को हमारी कमियों पर ध्यान देना चाहिए, ताकि हम राष्ट्र की अच्छे से सेवा कर सकें। वहीं महिलाओं को भी शरिया कानून के तहत काम करने का हक होगा। हालांकि इस प्रेस वार्ता के तीन दिन के अंदर ही जिस तरह का रुख तालिबान लड़ाकों ने महिलाओं, पत्रकारों को लेकर दिखाया है, उससे तो लगता है कि उसकी करनी-कथनी में फर्क साफ है।