अफगानिस्तान: राष्ट्रपति चुनावों के बीच बम धमाके, 72 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात
काबुल । अफगानिस्तान में राष्ट्रपति चुनावों के लिए जारी मतदान के बीच सिलसिलेवार बम धमाके हुए हैं। समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, कंधार में एक पोलिंग स्टेशन के बाहर बम धमाका हुआ जिसमें 15 लोग घायल हो गए हैं। यह बम धमाका मतदान शुरू होने के दो घंटे बाद हुआ। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यही नहीं पूरे देश में दूसरे मतदान केंद्रों पर भी कई छोटे धमाकों की सूचना है।
अफगानिस्तान में इस बार 96 लाख लोग वोट डालेंगे जबकि इसकी आबादी करीब तीन करोड़ 50 लाख है। शांतिपूर्ण मतदान के लिए देश में 72 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए है। यही नहीं 33 प्रांतों में 5373 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। बताया जाता है कि 1.10 लाख चुनावकर्मी वोटिंग की प्रक्रिया को संपन्न कराएंगे। इस चुनाव मैदान में 16 प्रत्याशी हैं। नेशनल असेंबली या वोलेसी जिरगा की 249 सीटों और मेशरानो जिरगा की 102 सीटों पर मतदान हो रहे हैं।
वोलेसी जिरगा को निचला सदन जबकि मेशरानो जिरगा को उच्च सदन कहा जाता है। यह चुनाव दो महीने चले चुनाव प्रचार अभियानों के बाद हो रहे हैं। इन दो महीने के दौरान पूरे देश में बड़े पैमाने पर आतंकी हमले देखे गए हैं। इन चुनावों में 144,146 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्री पर्यवेक्षकों की तैनाती की गई है। मान जा रहा था कि अमेरिका और तालिबान के बीच कतर की राजधानी दोहा में चल रही शांति वार्ता किसी ठोस नतीजे पर पहुंचेगी। लेकिन इसके टूट जाने से अफगानिस्तान में एकबार फिर खून खराबे और आतंकी हमले बढ़ गए हैं। अक्टूबर 2018 में तालिबान और अमेरिका के बीच चार बिंदुओं पर शांति वार्ता शुरू हुई थी। लेकिन सितंबर मध्य में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शांति वार्ता को रद कर दिया था। इसके लिए काबुल हमले को जिम्मेदार बताया गया था।
उल्लेखनीय है कि तालिबान और अमेरिका के बीच जिन मुद्दों पर बातचीत हो रही थी उनमें पहली शर्त यह थी कि हथियारबंद गुट अफगानिस्तान से दूसरे देशों में हमला नहीं करेंगे। दूसरी यह कि अफगानिस्तान से अमेरिका और नाटो फौजें वापस जाएंगी। तीसरी मुख्य बात यह कि अफगानिस्तान के अंदरूनी गुटों में बातचीत जारी रहेगी। चौथी और सबसे महत्वपूर्ण शर्त यह थी कि अफगानिस्तान में स्थायी युद्धविराम लागू होगा। हालांकि, इनमें से किसी बात पर सहमति बनती इससे पहले ही यह वार्ता रद हो गई जिससे अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया एक बार फिर अधर में पड़ गई है।
अफगानिस्तान के इस चुनाव में जो प्रमुख प्रत्याशी हैं, उनमें प्रमुख रूप से अशरफ गनी, अब्दुल्ला अब्दुल्ला, गुलबुद्दीन हिकमतयार, अहमद वली मसूद, रहमतुल्ला नबील, अब्दुल लतीफ पेदराम और रहमतुल्ला नबील शामिल हैं। अशरफ गनी खुद को देश का निर्माता बताते हुए दूसरी बार राष्ट्रपति बनना चाहते हैं। पर्यवक्षकों के मुताबिक, इन चुनावों में अशरफ गनी की सीधी टक्कर अब्दुल्ला अब्दुल्ला से है जो कि अफगानिस्तान के चीफ एग्जीक्यूटिव अधिकारी हैं। अहमद वली मसूद ताजिक समुदाय से आते हैं और यूके में अफगानिस्तान के राजदूत रह चुके हैं।