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अफस्पा के खिलाफ लड़ाई खत्म नही हुई: इरोम शर्मिला

इंफाल (ईएमएस) अफस्पा के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने वाली इरोम शर्मिला मणिपुर विधानसभा चुनाव में पहली बार मैदान में हैं। इरोम शर्मिला ने कहा है कि उन्होंने विवादित अफस्पा के खिलाफ अपनी लड़ाई छोड़ी नहीं है बल्कि अपनी रणनीति में बदलाव किया है। इरोम ने कहा कि लोगों का एक तबका सशक्त बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) के खिलाफ 16 साल लंबे अनशन के दौरान उनकी ‘शहादत’ चाहता था।

उन्होने इस अनशन को उन्होंने पिछले साल खत्म करने का फैसला किया। उन्होंने पीपल्स रीसर्जेंस एंड जस्टिस एलांयस (पीआरजेए) का गठन किया और मार्च में होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है जिसका एक मात्र एजेंडा मणिपुर से अफस्पा को हटाना है। इरोम ने कहा कि यदि हममें से कोई जीतता है तो हम विधानसभा में लोगों की आवाज होंगे और सदन पर अफस्पा पर सवाल करेंगे।”उनसे पूछा गया था कि उनकी पार्टी पीआरजेए ने सिर्फ तीन उम्मीदवार ही क्यों उतारें हैं और अगर वे जीतते हैं तो क्या वे 60 सदस्यीय विधानसभा में अहम भूमिका निभा सकते हैं?

इरोम थोबल सीट से मणिपुर के मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह और भाजपा के एल बशंता सिंह के खिलाफ चुनाव मैदान में है। उनसे पूछा गया कि अगर पीआरजेए के हाथ सफलता नहीं लगी तो वह क्या करेंगे तो इरोम ने कहा, “भले ही हम नाकामयाब हो जाएं। हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। हम राजनीति में रहेंगे और अगला संसदीय चुनाव लड़ेंगे।’शर्मिला ने कहा कि अफस्पा चुनावों में कभी एक मुद्दा नहीं रहा लेकिन मैं चुनावों में यह बात रखना चाहती हूं कि अफस्पा न सिर्फ क्रूर है बल्कि ऐसा है जो मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन करता है।

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