‘अब अधर्म के प्रति असहिष्णुता की जरूरत’
भोपाल । आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने देश में असहिष्णुता को जरूरी बताया है। उन्होंने कहा कि जहां हमें सहिष्णु होना चाहिए, वहां असहिष्णु हो रहे हैं और जहां असहिष्णु होना चाहिए, वहां सहिष्णुता दिखाने लगे हैं। अब देश को बढ़ते प्रदूषण, अन्याय, अधर्म के प्रति असहिष्णुता की जरूरत है।
विधानसभा भवन के सभागार में सिंहस्थ के मद्देनजर “ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज” विषय पर शनिवार को आयोजित संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर रविशंकर ने कहा कि देश में पृथ्वी, वायु, अग्नि, हवा, पानी को सुरक्षित रखना एक बड़े युद्ध की तरह है।
दुनियाभर में माना जाता है कि भारत में पर्यावरण की रक्षा के लिए ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है, हालांकि यह धारणा गलत है। उन्होंने कहा कि भारत में असहिष्णुता बढ़ने की बातें बहुत हुई हैं, लेकिन देश को पर्यावरण बिगाड़ने के मामलों में असहिष्णुता की ही जरूरत है। उन्होंने कहा कि मिस प्लेस टालरेंस और इनटालरेंस दोनों ही खतरनाक हैं, इससे बात बिगड़ जाती है।
सिंहस्थ के दौरान मप्र में पर्यावरण का संदेश देना प्रासंगिक है। यहां आने वाले लोगों को पर्यावरण सुरक्षित रखने के लिए शिक्षित किया जाना बड़ी चुनौती होगा। मप्र पूर्ण जैविक प्रदेश बनेआधात्म गुरु ने मप्र को पूर्ण जैविक खेती राज्य बनाने की अपेक्षा की और कहा कि रासायनिक खाद आदि का इस्तेमाल बंद हो।
उन्होंने कहा कि रासायनिक खाद को अन्य देशों ने खारिज किया है, उसे अपने देश में आत्मसात करना गलत है। इसी तरह शिव के दुग्धाभिषेक के बाद दूध को नाले में बहने देना भी उचित नहीं, इस दूध से बच्चों को पंचामृत बनाकर दिया जाना चाहिए।
सारा ठेका सरकार का नहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए मप्र में चलाई जा रही चिंतन प्रक्रिया का समापन मई में उज्जैन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। राज्य सरकार ने विभिन्न विचारकों व विशेषज्ञों के विचारों को समाहित करके सरकार ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए बेहतर नीति बनाने में जुटी है।
चौहान ने पर्यावरण संतुलन को जरूरी व नरवाई जलाने को पर्यावरणीय दृष्टि से गलत बताया। मुख्यमंत्री ने बेहतर जंगल व वन्यजीव संरक्षण का परोक्ष उदाहरण देते हुए कहा कि भोपाल के आस पास बाघों की दहाड़ गूंजती रहती है।
कार्यक्रम को नगरीय प्रशासन राज्य मंत्री लाल सिंह आर्य ने भी संबोधित किया। इससे पहले चिंतन श्रंखला समिति के संयोजक अनिल दवे ने पर्यावरणीय खतरों का विस्तार से वर्णन किया, उन्होंने कहा कि पृथ्वी को बहुत नुकसान पहुंचाया गया है। भविष्य में बादलों की चोरी का खतरा भी है। ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए समग्र कदम उठाने होंगे।