व्यापार

अब ई-लाला से शाॅपिंग कर लीजिए मिठाइयों का लुत्फ

sw-1446723096दस्तक टाइम्स/एजेंसी: जयपुर के फीणी, घेवर और इंदौर की नमकीन भी अब आप ऑर्डर कर सकते हैं तो बरेली का सूरमा, मांझा और आगरा का पेठा और जूते भी घर बैठे मंगा सकेंगे। देश में ऑनलाइन शॉपिंग के लगातार बढ़ते कारोबार को टक्कर देने के लिए शीर्ष संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ई-लाला के नाम से एक ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल की शुरुआत कर रहा है। 
 
इससे जुड़कर देश के लाखों छोटे, मझोले व बड़े किराना कारोबारी अपने ही शहर में ऑनलाइन व्यापार भी कर सकेंगे। इसकी खासियत यह होगी कि इससे देश के वास्तविक खुदरा व्यापारी ही जुड़ सकेंगे। इसे दीपावली से पहले नागपुर में लांच किया जाएगा।  कैट ने भुगतान के लिए एचडीएफसी बैंक और मास्टर कार्ड से करार किया है।
 
पोर्टल के मापदण्ड
कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि ई-लाला के तीन अहम पहलू होंगे, जो इसे संगठित क्षेत्र की बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों से अलग करेंगे। पहला इसमें सिर्फ वो ही किराना कारोबारी पंजीकृत होगा, जिसकी अपनी दुकान होगी। दूसरा यह शहर आधारित केंद्र होगा। यानि ग्राहक चाहे तो ऑनलाइन ले या सीधे दुकान पर जाकर भी सामान ले सकता है।
 
यहां विक्रेता और खरीदार के बीच सीधा संपर्क होगा। कोई बिचौलिया नहीं होगा। अधिकतम उद्देश्य ऑनलाइन भुगतान पर रहेगा। इसके लिए क्रेता डेबिट, के्रडिट या नेट बैंकिंग के जरिए भुगतान करे। भुगतान का पैसा ई-लाला पोर्टल के बजाय सीधा व्यापारी के खाते में जाएगा। ऑनलाइन शॉपिंग प्रतिनिधि उपभोक्ता के घर अपने साथ कार्ड स्वैपर मशीन या ऑनलाइन से रकम लेगा। 
 
खासियत का ध्यान-स्पेशयलिटी कॉर्नर
देश के हर शहर के किसी खास उत्पाद की अपनी एक विशेष पहचान होती है। इसे उपभोक्ता इस पोर्टल के जरिए खरीद सकता है। यह पोर्टल के स्पेशयलिटी कॉर्नर पर उपलब्ध होगा।
 
इन्क्वायरी कॉर्नर 
पोर्टल के अलावा भी अगर किसी उपभोक्ता को अन्य किसी सामग्री की आवश्यकता है तो वह इन्क्वायरी डेस्क पर मेल के जरिए पूछ सकता है। इसके जरिए निश्चित अवधि में उपभोक्ता तक जानकारी होगी। 
 
पूरी पड़ताल, फिर जुड़ पाएंगे 
इस पोर्टल से कोई फर्जी या बोगस व्यापारी ना जुड़ पाए। इसलिए किसी भी कारोबारी को जोडऩे से 
पहले उसकी पूरी पड़ताल की जाएगी। व्यापारी की आईडी, टिन नंबर, पैन नंबर व बिजली का बिल समेत अन्य दस्तावेजों के जरिए सत्यापन किया जाएगा।
 
ऑनलाइन कारोबार 
दो सालों में व्यवसाय की 24 कैटेगरी (सौंदर्य-प्रसाधन, किराना व ग्रोसरी समेत अन्य) की बिक्री में 40 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। यह वह आंकड़ा है, जो दुकानों से निकलकर ऑनलाइन शॉपिंग की ओर चला गया। 
 
-18 से 35 की उम्र के अधिकांश उपभोक्ता डेबिट, के्रडिट और नेट बैंकिंग के जरिए भुगतान कर खरीदारी करना पसंद करते हैं। 
 
देश में छोटे-बड़े व मझोले व्यापारियों के करीब 40 हजार संगठन हैं, लगभग 6 करोड़ व्यापारी जुड़े हैं। 
 
भविष्य में ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल से बिकने वाली रोजमर्रा की चीजें दूसरे स्थान पर होंगी। हर साल इसमें 30-35 प्रतिशत की इजाफा होने के आसार है।  

 

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